राजनीति: ममता बनर्जी के ‘मृत्यु कुंभ’ वाले बयान पर भड़के सुकांत मजूमदार, राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग

ममता बनर्जी के ‘मृत्यु कुंभ’ वाले बयान पर भड़के सुकांत मजूमदार, राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ बताने वाले बयान पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के बयान को लेकर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को पत्र लिखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान को विधानसभा के रिकॉर्ड से हटवाने की मांग की है।

कोलकाता, 19 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ बताने वाले बयान पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के बयान को लेकर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को पत्र लिखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान को विधानसभा के रिकॉर्ड से हटवाने की मांग की है।

पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को पत्र में लिखा, "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान महाकुंभ मेले को 'मृत्यु कुंभ' कहा। ऐसा बयान न केवल अत्यधिक असंवेदनशील है, बल्कि पूरे देश और उसके बाहर के लाखों हिंदुओं के लिए अपमानजनक भी है।"

उन्होंने कहा, "महाकुंभ मेला हिंदू परंपरा में सबसे पवित्र समागमों में से एक है, जो आस्था, भक्ति और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। इसे 'मृत्यु महाकुंभ' कहकर मुख्यमंत्री ने उन करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान किया है, जो इस पवित्र आयोजन में अत्यंत श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने ऐसी टिप्पणी की है, जो न केवल धार्मिक परंपराओं का अपमान करती है, बल्कि समाज में अनावश्यक विभाजन भी पैदा करती है।"

सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने की भी मांग की। उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब नेताओं से संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने और सभी धर्मों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है, एक मुख्यमंत्री के लिए ऐसा अपमानजनक बयान बेहद अशोभनीय है। यह जरूरी है कि संवैधानिक अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि इस तरह की टिप्पणियों पर लगाम लगाई जाए, क्योंकि इससे सामाजिक असामंजस्य पैदा हो सकता है और धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। इस पत्र के माध्यम से मैं आपसे विधानसभा के रिकॉर्ड से इस बयान को हटाने, मामले का संज्ञान लेने और मुख्यमंत्री से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आग्रह करता हूं। यह महत्वपूर्ण है कि निर्वाचित प्रतिनिधि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें और ऐसे बयानों से बचें जो विभाजन या संकट का कारण बन सकते हैं।"

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Created On :   19 Feb 2025 7:05 PM IST

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