स्वास्थ्य/चिकित्सा: आम श्वास संबंधी बीमारी भी वयस्कों में बढ़ा सकती है मृत्यु का जोखिम अध्ययन

आम श्वास संबंधी बीमारी भी वयस्कों में बढ़ा सकती है मृत्यु का जोखिम  अध्ययन
एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जिन वयस्कों को रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस (आरएसवी) से जुड़ी सांस की बीमारी (आरएसवी-एआरआई) होती है, उनकी एक साल के भीतर मृत्यु का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में लगभग 2.7 गुना अधिक होता है।

नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जिन वयस्कों को रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस (आरएसवी) से जुड़ी सांस की बीमारी (आरएसवी-एआरआई) होती है, उनकी एक साल के भीतर मृत्यु का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में लगभग 2.7 गुना अधिक होता है।

आरएसवी-एआरआई एक प्रकार की सांस की बीमारी है, जो रेस्पिरेटरी सिंशियल वायरस (आरएसवी) के कारण होती है। यह वायरस बहुत आम है और तेजी से फैलता है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों और सांस की नली को प्रभावित करता है।

यह अध्ययन यूरोपियन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इन्फेक्शियस डिजीज (ईएससीएमआईडी ग्लोबल 2025) के ऑस्ट्रिया में हुए सम्मेलन में पेश किया गया।

यह डेनमार्क में 2011 से 2022 के बीच 18 वर्ष से अधिक उम्र के 5,289 मरीजों पर किए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिन्हें आरएसवी-एआरआई हुआ था। इनकी तुलना 15,867 सामान्य लोगों से की गई और एक साल तक निगरानी की गई।

अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता मारिया जोआओ फोंसेका ने बताया, “इस अध्ययन में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि बीमारी के तीव्र चरण के बाद भी मरीजों की हालत सामान्य लोगों से खराब बनी रही। इससे पता चलता है कि आरएसवी-एआरआई का असर केवल तुरंत नहीं बल्कि लंबे समय तक बना रह सकता है।”

अब तक यह माना जाता था कि आरएसवी का असर केवल छोटे बच्चों पर होता है, लेकिन यह वयस्कों में भी गंभीर समस्या बन सकता है। यह फेफड़ों में संक्रमण (न्यूमोनिया) और पुरानी सांस की बीमारियां जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और दमा (अस्थमा) को और बढ़ा सकता है। जिससे उन्हें अस्पताल या आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।

फोंसेका ने बताया, “सीओपीडी और दमा के लक्षणों का बिगड़ना सबसे आम परेशानी रही। ये बीमारियां पहले से ही कठिन होती हैं और आरएसवी-एआरआई इनकी हालत को और भी खराब कर देता है।” उन्होंने यह भी कहा कि इससे इलाज का खर्चा भी बहुत बढ़ जाता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि जिन लोगों को पहले से दमा या सीओपीडी जैसी बीमारियां हैं, उनके इलाज और देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि आगे कोई गंभीर स्थिति न पैदा हो।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   12 April 2025 3:54 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story