राजनीति: बंगाल में जम्मू-कश्मीर जैसे हालात, हिंदुओं को पलायन के लिए किया जा रहा मजबूर ज्योतिर्मय सिंह महतो

बंगाल में जम्मू-कश्मीर जैसे हालात, हिंदुओं को पलायन के लिए किया जा रहा मजबूर  ज्योतिर्मय सिंह महतो
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। मालदा और मुर्शिदाबाद के बाद अब दक्षिण 24 परगना जिले में हिंसा देखने को मिली है। पुरुलिया से भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने दक्षिण 24 परगना जिले में हुई हिंसा को लेकर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हालात ठीक नहीं हैं।

पुरुलिया, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। मालदा और मुर्शिदाबाद के बाद अब दक्षिण 24 परगना जिले में हिंसा देखने को मिली है। पुरुलिया से भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने दक्षिण 24 परगना जिले में हुई हिंसा को लेकर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हालात ठीक नहीं हैं।

भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "देखिए, भाजपा कई दिनों से कह रही है कि पश्चिम बंगाल में हालात ठीक नहीं हैं। यहां जम्मू-कश्मीर जैसे हालात पैदा हो गए हैं। जिस तरह से 1990 में कश्मीर में हिंदुओं को पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था, उसी तरह मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया और दक्षिण 24 परगना में भी हो रहा है।"

उन्होंने आगे कहा, "मैंने पश्चिम बंगाल के हालात के बारे में गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। मैंने उनसे गुहार लगाई है कि सेंट्रल फोर्स की तैनाती की जाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की योजना बना रही हैं। आप देखेंगे कि हिंसक घटनाएं धीरे-धीरे पुरुलिया तक पहुंच जाएंगी। ममता बनर्जी सिर्फ वोट बैंक के लिए हिंदुओं की मौत की साजिश रच रही हैं। ऐसा करने से नहीं रोका गया तो बंगाल नहीं बचेगा।"

उल्लेखनीय है कि संसद से वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित होने के बाद मुर्शिदाबाद में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए, जो बाद में हिंसक हो गए। बड़ी संख्या में हिंदू वहां से पलायन कर रहे हैं।

इस बीच, कलकत्ता हाई कोर्ट की एक विशेष डिवीजन बेंच के निर्देश के बाद मुर्शिदाबाद जिले में भड़की हिंसा के बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया गया है।

कोर्ट ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाल के दिनों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सांप्रदायिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपाय पर्याप्त नहीं थे।

बेंच ने यह भी कहा कि अगर पहले सीएपीएफ तैनात किया गया होता, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती।

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Created On :   15 April 2025 5:58 PM IST

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