संस्कृति: 'सिल्क सिटी' के तौर पर है भागलपुर की पहचान, विदेशों में भी बढ़ रही डिमांड

सिल्क सिटी के तौर पर है भागलपुर की पहचान, विदेशों में भी बढ़ रही डिमांड
भारत के हस्तशिल्प ने सदियों से अपनी रचनात्मकता, सौंदर्य और उत्कृष्ट शिल्प कौशल से दुनिया को आकर्षित किया है। भारत के हस्तशिल्प उद्योग समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं। पारंपरिक कला, वास्तुकला, अनगिनत कलाकृतियां बिहार को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य बनाती हैं। इन्हीं में से एक है सिल्क। हाथ से बुना और बड़ी मेहनत से गढ़े गए इस कपड़े की डिमांड सात समंदर पार तक है। भागलपुरी सिल्क से जुड़े कारीगर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात की तो महीन कपड़े की बारीकी समझाई।

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। भारत के हस्तशिल्प ने सदियों से अपनी रचनात्मकता, सौंदर्य और उत्कृष्ट शिल्प कौशल से दुनिया को आकर्षित किया है। भारत के हस्तशिल्प उद्योग समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं। पारंपरिक कला, वास्तुकला, अनगिनत कलाकृतियां बिहार को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य बनाती हैं। इन्हीं में से एक है सिल्क। हाथ से बुना और बड़ी मेहनत से गढ़े गए इस कपड़े की डिमांड सात समंदर पार तक है। भागलपुरी सिल्क से जुड़े कारीगर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात की तो महीन कपड़े की बारीकी समझाई।

भागलपुरी सिल्क (रेशम), सिल्क और सिल्क के कपड़ों के उत्पादन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। भागलपुर को 'पूर्वी भारत के सिल्क शहर' के रूप में लोकप्रियता हासिल है। यहां के सिल्क का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। भागलपुर जिला टसर और मटका सिल्क की बेहतरीन गुणवत्ता के उत्पादन में टॉप पर है।

भागलपुर में सिल्क उद्योग से जुड़े मोहम्मद सलामुद्दीन अंसारी ने बताया कि उनकी पीढ़ियां गुजर गई इस काम को सहेजते और निखारते! वह खुद 1981 से सिल्क उद्योग से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि वह बड़ी शिद्दत से धागों को बुनते हैं। कपड़े तैयार होने के बाद उसे रंगने का भी काम करते हैं।

अंसारी मंझे हुए कारीगर हैं। बताते हैं उनके पास सूत आता है, जिससे कपड़े तैयार करते हैं। बुनकर सहयोग समिति के माध्यम से वह इससे जुड़े हुए हैं। समिति से 120 लोग जुड़े हुए हैं, जो सिल्क के सूत बुन कर कपड़ों का आकार देते हैं। कहते हैं, " भागलपुर शहर में ऐसी कई समितियां हैं, जो सूत से सिल्क के कपड़े तैयार करते हैं।"

कपड़े तैयार हो गए, फिर रंग भी दिए गए इसके बाद का प्रोसेस इसे बाजार तक पहुंचाने का होता है।

अंसारी ने आगे बताया कि कपड़े तैयार करने के बाद लोकल मार्केट में बेचते हैं। भागलपुर और आस-पास के जिले में ऐसे कई मार्केट हैं, जहां सिल्क के कपड़े बिक जाते हैं। हालांकि, जो बड़े पैमाने पर कपड़े तैयार करते हैं, वे लोकल मार्केट के अलावा बाहरी बाजारों का भी रुख करते हैं।

भागलपुर स्लिक बिहार को गौरवान्वित करने वाला प्रोडक्ट है तो क्या सरकार की ओर से जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं उससे वो संतुष्ट हैं? इस पर थोड़े रुआंसे होकर कहते हैं, "कागज पर सब कुछ होता है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले कारीगर को कुछ नहीं मिलता है। अब तक जो सुविधाएं दी जा रही हैं वो कम है, सरकार को इस मसले पर ध्यान देना चाहिए।"

बता दें, भारत दुनिया में सिल्क का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और भागलपुर देश के सबसे पुराने सिल्क उत्पादक शहरों में से एक है और न केवल भारत में, बल्कि यह अपने सिल्क उद्योग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। हथकरघा सिल्क उद्योग को बेहतर बनाने के लिए 1974 में बुनकर सेवा केंद्र की स्थापना की गई थी। यही वजह है कि भागलपुरी सिल्क को 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' पहल के तहत शामिल किया गया है। भागलपुर के हुसैनाबाद, चंपानगर, नाथनगर आदि भागलपुर जिले के प्रमुख सिल्क उत्पादन केंद्र हैं, जहां बुनकरों की अच्छी खासी तादाद है।

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Created On :   22 March 2025 2:37 PM IST

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