राजनीति: आदिम जनजाति को राशन नहीं, स्वास्थ्य सेवा बदहाल और बेरोजगारी इनके लिए मुद्दा नहीं बाबूलाल मरांडी

आदिम जनजाति को राशन नहीं, स्वास्थ्य सेवा बदहाल और बेरोजगारी इनके लिए मुद्दा नहीं  बाबूलाल मरांडी
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को राज्य की सरकार पर झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर जोरदार जुबानी हमला बोला। उन्होंने आदिम जनजाति के लोगों के बीच राशन का वितरण नहीं होने, सरकारी अस्पतालों की बदहाली और युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा।

रांची, 20 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को राज्य की सरकार पर झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर जोरदार जुबानी हमला बोला। उन्होंने आदिम जनजाति के लोगों के बीच राशन का वितरण नहीं होने, सरकारी अस्पतालों की बदहाली और युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा।

स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर सदन में चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में पहाड़िया जनजाति के 7,500 कार्डधारियों को राशन नहीं मिल रहा है। आदिम जनजातियों के लिए डाकिया योजना के तहत सरकार को राशन घर तक पहुंचाना चाहिए था। राशन नहीं मिलने की वजह से 7,500 परिवार आंदोलन को मजबूर हैं।

मरांडी ने राज्य सरकार से पहाड़ी जनजाति के परिवारों का राशन उपलब्ध कराने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने बाबूलाल मरांडी के सवाल का सीधा जवाब देने के बजाय राज्य के पहले सीएम के रूप में उनके कार्यकाल की आलोचना की तो भाजपा के सभी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए मरांडी ने कहा कि यह सरकार केवल बड़ी-बड़ी बातें करती है, जबकि जमीनी हालत बेहद खराब है। हालत यह है कि सरकार के अस्पतालों में पैसे के अभाव में आज इलाज नहीं हो पाता है। सरकार छह मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा कर रही है। यह अच्छी बात है। नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएं, लेकिन जो वर्तमान में मेडिकल कॉलेज हैं, उसे तो सरकार ठीक से चला नहीं पा रही है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले पांच साल में इस सरकार ने क्या काम किया है, वह तो इन्हें बताना पड़ेगा। क्या आने वाले पांच साल में भी सरकार इसी ढर्रे से चलेगी?

रोजगार के मुद्दे पर मरांडी ने कहा कि सरकार यह मानती ही नहीं है कि बेरोजगारी कोई समस्या है। उसके लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं है। पिछले छह वर्षों में हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी चरम पर पहुंच चुकी है। लेकिन, युवाओं की पीड़ा से सरकार का कोई वास्ता नहीं रह गया। सरकार ने युवाओं के नियोजन के लिए पोर्टल शुरू किया, लेकिन यह ठीक से काम नहीं कर रहा है। यह समय पर अपडेट भी नहीं हो रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि पोर्टल पर अब भी दावा किया जा रहा है कि निजी कंपनियों में 40,000 रुपए तक के वेतन वाली 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं को मिलेंगी, जबकि झारखंड हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में इस नियम पर रोक लगा दी थी। झूठे वादों और गलत जानकारी देकर युवाओं को गुमराह किया जा रहा है।

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Created On :   20 March 2025 3:46 PM

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