राजनीति: लोकपाल बिल पर 'सुप्रीम' स्टे उज्ज्वल निकम बोले, 'न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखना जरूरी'

लोकपाल बिल पर सुप्रीम स्टे  उज्ज्वल निकम बोले, न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखना जरूरी
भाजपा नेता और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकपाल बिल पर स्टे के आदेश के बाद कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आंतरिक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।

मुंबई, 21 फरवरी (आईएएनएस)। भाजपा नेता और विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकपाल बिल पर स्टे के आदेश के बाद कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आंतरिक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।

उज्ज्वल निकम ने कहा कि हमारी न्यायपालिका की खूबसूरती यह है कि यह स्वतंत्र है, लेकिन साथ ही पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर लोगों को किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की कार्यशैली या आचरण पर संदेह है, तो मुझे लगता है कि हमें एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जो उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट का आंतरिक तंत्र हो सकता है। लेकिन जनता को यह भी महसूस होना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यही कारण है कि लोकपाल को ऐसे जांच करने का अधिकार दिया गया है। अगर यह अधिकार हटा लिया जाता है, तो आम आदमी का विश्वास टूट जाएगा।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह प्राथमिक दृष्टिकोण है कि लोकपाल द्वारा शिकायतों की जांच करना आम आदमी का न्यायपालिका पर विश्वास तोड़ सकता है। किसी भी देश की स्थिरता दो बातों पर निर्भर करती है - पहला, उस देश की मुद्रा पर आम आदमी का पूर्ण विश्वास और दूसरा, उस देश की न्यायपालिका पर आम आदमी का विश्वास। अगर लोकपाल द्वारा जांच करने से यह विश्वास टूट जाता है, तो यह संभावित खतरा हो सकता है। इसलिए हमारे संविधान में इस मामले में अत्यंत सावधानी बरती गई है। हमें एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें ऐसी शिकायतों की विस्तार से जांच की जा सके।

उन्होंने कांग्रेस के पूर्व सांसद हुसैन दलवई के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने औरंगजेब को एक अच्छा शासक बताया था। उज्ज्वल निकम ने कहा कि यह दुखद है कि कांग्रेस के पूर्व सांसद ऐसे बयान दे रहे हैं। मुझे लगता है कि उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है, इसलिए वे ऐसे तर्कहीन बयान दे रहे हैं। जो लोग इतिहास पढ़ चुके हैं, वे जानते हैं कि औरंगजेब किस प्रकार का शासक था और छत्रपति शिवाजी महाराज तथा संभाजी महाराज किस प्रकार के राजा थे। महाराष्ट्र में रहते हुए ऐसा आलोचनात्मक बयान देना, यह दर्शाता है कि उन्हें इतिहास का पुनः अध्ययन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह सच है कि इस तरह के बयान हिंदू और मुस्लिम के बीच विभाजन को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं। मैं उनके बयान की निंदा करता हूं, क्योंकि आज भी हमारे देश में हिंदू और मुस्लिम एक साथ रहते हैं, लेकिन जब आप औरंगजेब को मुस्लिम नेता और शिवाजी महाराज को हिंदू नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं, और औरंगजेब को अच्छा शासक बताते हैं, तो यह एक अपमानजनक और दुखद बयान है।

इसके अलावा, उज्ज्वल निकम ने महाकुंभ में गंगा जल के दूषित होने को लेकर सवाल किए जाने पर कहा कि ऐसी विवादों का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। लाखों लोग पवित्र स्नान के लिए आते हैं और यह उनके विश्वास का मामला है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   21 Feb 2025 11:54 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story