लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस का बिहार में नेतृत्व करने वालों का ही पार्टी से मोहभंग

कांग्रेस का बिहार में नेतृत्व करने वालों का ही पार्टी से मोहभंग
बिहार में दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस को इस चुनाव में भी झटका लगा है। ऐसे तो चुनाव के दौरान नेताओं में पार्टी बदलने की परिपाटी कोई नई नहीं है, लेकिन अगर पार्टी का प्रदेश में नेतृत्व करने वाले ही पार्टी छोड़ दें तो सवाल उठने लगते हैं।

पटना, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार में दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस को इस चुनाव में भी झटका लगा है। ऐसे तो चुनाव के दौरान नेताओं में पार्टी बदलने की परिपाटी कोई नई नहीं है, लेकिन अगर पार्टी का प्रदेश में नेतृत्व करने वाले ही पार्टी छोड़ दें तो सवाल उठने लगते हैं।

इस चुनाव के पहले ही कांग्रेस का प्रदेश में नेतृत्व करने वाले अनिल शर्मा ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा पार्टी के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी और अजय सिंह टुन्नू ने भी पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है। यही नहीं कुछ दिन पहले कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरव, मुरारी गौतम भी भाजपा के साथ हो गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि रोहतास जिले का युवा कांग्रेस अध्यक्ष रहे आलोक सिंह ने मुरारी गौतम को भाजपा के नजदीक लाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। भाजपा ने भी इस परिवार को निराश नहीं किया और आलोक सिंह के भाई संतोष सिंह को मंत्री बना दिया।

अनिल शर्मा ने 2008 से 2010 तक बिहार में पार्टी का नेतृत्व किया था और कांग्रेस 2009 में अपने बूते चुनाव भी लड़ी थी। कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि एक समय था, जब राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद कई प्रदेशों में युवा नेता युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये गए थे, उन नेताओं में से भी कई पार्टी छोड़ चुके हैं।

उन्होंने यहां तक कहा कि बिहार में कई सक्रिय कार्यकर्ता और नेता आज हाशिये पर पहुंच गए हैं। अभी तक प्रदेश समिति का गठन नहीं हो सका। आखिर कोई क्यों पार्टी में समय देगा। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि कई नेता भी अपना नया ठौर खोज रहे हैं, ठौर मिलते ही वे भी ठिकाना बदल देंगे। कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक स्थिति नहीं बदली तो स्थिति और बिगडेगी।

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस का प्रदेश में नेतृत्व करने वाले मात्र अनिल शर्मा ने ही पार्टी छोड़ी है। इसके पहले भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी कांग्रेस को छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे और फिर प्रदेश में मंत्री बने। महबूब अली कैसर का नाम भी इस पंक्ति में है। कैसर ने 2010 से 2013 तक बिहार में कांग्रेस का नेतृत्व किया था। रामजतन सिंह भी 2003 से 2005 तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। लेकिन, इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   5 April 2024 4:58 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story