स्वास्थ्य/चिकित्सा: आईआईटी गुवाहाटी ने नए नैनो मटेरियल को किया विकसित, मानव स्वास्थ्य के लिए होगा कारगर

आईआईटी गुवाहाटी ने नए नैनो मटेरियल को किया विकसित, मानव स्वास्थ्य के लिए होगा कारगर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने सोमवार को एक नए नैनो मटेरियल को डेवलप किया है, जिससे बिना अधिक खर्च के मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक विषाक्त धातुओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है।

गुवाहाटी, 27 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने सोमवार को एक नए नैनो मटेरियल को डेवलप किया है, जिससे बिना अधिक खर्च के मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक विषाक्त धातुओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है।

पारा दूषित भोजन, पानी, हवा या त्वचा के संपर्क में आने से शरीर में प्रवेश कर सकता है। इनके संपर्क से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, जिनमें तंत्रिका तंत्र को नुकसान, अंगों का काम करना बंद करना और कॉग्निटिव नुकसान शामिल हैं।

वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसे नैनो कणों का विकास किया है जो धातुओं से बने होते हैं और बहुत स्थिर होते हैं। ये नैनो कण जीवित कोशिकाओं में मौजूद जहरीली धातुओं जैसे पारे का पता लगा सकते हैं, बिना उन्हें कोई नुकसान पहुंचाए।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नए आविष्कार से रोगों का पता लगाने और पर्यावरण की निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। यह जैविक प्रणालियों में धातुओं की विषाक्तता का पता लगाने और उसका प्रबंधन बेहतर बनाएगा।

आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर सैकत भौमिक ने कहा, "इन पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल की एक प्रमुख विशेषता उनकी उनकी संकीर्ण उत्सर्जन रेखा है, जो धातु का पता लगाने के लिए हाई सिग्नल-टू-नोइस अनुपात के कारण संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए उपयुक्त है।"

भौमिक ने कहा कि पारंपरिक इमेजिंग विधियां अक्सर प्रकाश के बिखराव से जूझती हैं, जिससे गहरी कोशिका परतों से स्पष्ट छवियों को कैप्चर करना मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने कहा, "पेरोवस्काइट नैनोक्रिस्टल की मल्टी फोटोन अवशोषण से गुजरने की क्षमता इस सीमा को पार कर जाती है, जिससे अधिक स्पष्ट और अधिक डिटेल इमेजिंग मिलती है। ये गुण उन्हें चिकित्सा और जैविक अनुसंधान में उन्नत फ्लोरोसेंस इमेजिंग के लिए आदर्श बनाते हैं।"

नैनोक्रिस्टल ने पारे के बहुत कम स्तर को भांपने में भी सटीक संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, जब जीवित स्तनधारी कोशिकाओं पर परीक्षण किया गया तो नैनोक्रिस्टल को गैर-विषाक्त पाया गया है। इससे कोशिकाओं के कार्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और पारे के आयन्स की सटीक निगरानी संभव हो सकेगी।

पारा का पता लगाने के अलावा ये नैनोक्रिस्टल जैविक प्रणालियों में अन्य विषाक्त धातुओं की पहचान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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Created On :   27 Jan 2025 4:50 PM IST

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