कानून: ब्लूस्मार्ट के प्रमोटर्स ने ईवी लोन को डायवर्ट कर डीएलएफ कैमेलियास में खरीदा घर

ब्लूस्मार्ट के प्रमोटर्स ने ईवी लोन को डायवर्ट कर डीएलएफ कैमेलियास में खरीदा घर
जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (जीईएल) के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने के लिए ल‍िए गए लोन को ग्रुरुग्राम में डीएलएफ के 'द कैमेलियास' में एक लग्‍जरी अपार्टमेंट खरीदने के लिए डायवर्ट कर द‍िया।

मुंबई/ नई दिल्ली, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (जीईएल) के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने के लिए ल‍िए गए लोन को ग्रुरुग्राम में डीएलएफ के 'द कैमेलियास' में एक लग्‍जरी अपार्टमेंट खरीदने के लिए डायवर्ट कर द‍िया।

यह खुलासा बाजार नियामक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने 15 अप्रैल को क‍िया।

सेबी ने दोनों जग्गी बंधुओं को कंपनी में किसी भी निदेशक पद पर बने रहने पर पाबंदी लगा दी है और सिक्योरिटी मार्केट में उनकी पहुंच पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

नियामक के अनुसार, राइड-हेलिंग सर्विस ब्लूस्मार्ट के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने हेतु लिए गए लोन को कई संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया और बाद में निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया।

बाजार नियामक ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, "जेनसोल द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए लोन के रूप में ली गई धनराशि का उपयोग गुरुग्राम के कैमेलियास में एक हाई क्लास अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया गया, जो उस फर्म के नाम पर है, जिसमें जेनसोल के एमडी और उनके भाई भागीदार हैं।"

सेबी ने आगे कहा, "अनमोल सिंह जग्गी की मां जसमिंदर कौर द्वारा बुकिंग एडवांस के रूप में शुरू में भुगतान किए गए 5 करोड़ रुपये भी जेनसोल से ही लिए गए थे। इसके अलावा, एक बार जब डीएलएफ ने कौर को एडवांस राशि लौटा दी, तो यह धनराशि कंपनी को वापस नहीं मिली, बल्कि जेनसोल की एक अन्य संबंधित पार्टी को दे दी गई।"

बाजार नियामक ने जांच में पाया कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने 2021 से 2024 के बीच सरकारी एनबीएफसी कंपनियों - इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) से 978 करोड़ रुपये का लोन लिया था।

इसमें से 664 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए आवंटित किए गए थे, जिन्हें ब्लूस्मार्ट को लीज पर दिया जाना था।

हालांकि, कंपनी ने फरवरी 2025 में स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि अब तक केवल 4,704 ईवी खरीदे गए हैं।

जेनसोल के ईवी सप्लायर गो-ऑटो ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन वाहनों की कुल लागत 568 करोड़ रुपये थी।

सेबी ने बताया कि लोन की आखिरी किश्त प्राप्त होने के एक साल के बाद भी कंपनी बाकी बचे 262 करोड़ रुपये के अंतर का हिसाब देने में विफल रही है।

सेबी की जांच से पता चला है कि कथित तौर पर ईवी खरीदने के लिए एक बार जब फंड को जेनसोल से गो-ऑटो में स्थानांतरित कर दिया गया, तो पैसा जेनसोल या जग्गी बंधुओं से जुड़ी संस्थाओं को वापस भेज दिया गया।

ऐसे ही एक मामले में, 2022 में आईआरईडीए से प्राप्त लोन राशि का एक बड़ा हिस्सा रिलेटिड कैपब्रिज को हस्तांतरित कर दिया गया।

इसके बाद कैपब्रिज ने कैमेलियास प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट के लिए डीएलएफ को 42.94 करोड़ रुपए भेजे। डीएलएफ ने पुष्टि की कि इस पैसे का इस्तेमाल एक फर्म के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए किया गया, जिसमें अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी दोनों ही भागीदार हैं।

बुधवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर में 5 फीसदी की गिरावट आई और यह 122.68 रुपये की निचली सर्किट सीमा पर बंद हुआ।

इस बीच, ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी ने मार्च के वेतन भुगतान में कथित तौर पर देरी की है, क्योंकि इलेक्ट्रिक कैब-हेलिंग स्टार्टअप वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी के सह-संस्थापक अनमोल सिंह जग्गी ने कर्मचारियों को भेजे एक ईमेल में आश्वासन दिया कि अप्रैल के अंत तक सभी लंबित बकाए चुका दिए जाएंगे।

जग्गी ने कथित तौर पर ईमेल में कहा, " कैश फ्लो की कमी के कारण, वेतन प्रक्रिया में थोड़ी देरी होगी। हालांकि, हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि अप्रैल के भीतर ही सभी बकाया चुका दिए जाएंगे।"

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Created On :   16 April 2025 4:38 PM IST

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