राजनीति: हाईकोर्ट ने साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की सीबीआई जांच पर लगी रोक हटाई

हाईकोर्ट ने साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की सीबीआई जांच पर लगी रोक हटाई
झारखंड हाईकोर्ट ने साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की सीबीआई जांच पर रोक लगाने की राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है। राज्य सरकार ने क्रिमिनल रिट दायर कर सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी थी। 19 जनवरी को झारखंड हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए उसे जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई और बहस के बाद जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने आज इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व में सीबीआई जांच पर लगाई गई रोक हटा ली और राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी।

रांची, 23 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की सीबीआई जांच पर रोक लगाने की राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है। राज्य सरकार ने क्रिमिनल रिट दायर कर सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी थी। 19 जनवरी को झारखंड हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए उसे जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई और बहस के बाद जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने आज इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व में सीबीआई जांच पर लगाई गई रोक हटा ली और राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी।

दरअसल, विजय हांसदा नामक एक शख्स ने साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र एवं अन्य के संरक्षण में अवैध खनन का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। बाद में उसने इस याचिका को वापस लेने का आग्रह कोर्ट से किया था। हाईकोर्ट ने उसके इस आग्रह को खारिज करते हुए सीबीआई को आदेश दिया था कि वह नींबू पहाड़ में अवैध खनन की वस्तुस्थिति पर प्रारंभिक जांच करे। इसके अलावा कोर्ट ने सीबीआई को याचिकाकर्ता विजय हांसदा और अवैध खनन के आरोपियों के आचरण की भी जांच करने को कहा था।

सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू की और इसके बाद उसने नींबू पहाड़ पर अवैध खनन के मामले में 20 नवंबर 2023 को एफआईआर दर्ज कर ली। झारखंड सरकार ने इस एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि हाईकोर्ट ने सिर्फ प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था, लेकिन सीबीआई ने इसके आगे एफआईआर दर्ज कर ली। इसके लिए न तो राज्य सरकार की सहमति ली गई और न ही हाईकोर्ट से अनुमति। ऐसे में यह एफआईआर कानून सम्मत नहीं है।

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं पीयूष चित्रेश ने बहस की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार ने पक्ष रखा।

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Created On :   23 Feb 2024 1:46 PM IST

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