'सुप्रीम' फैसला: समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'शादी के लिए कानूनी मान्यता नहीं'
- सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाद को लेकर फैसला
- लंबे समय के बाद शीर्ष अदालत का आया बड़ा बयान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समलैंगिक शादियों पर सुप्रीम कोर्ट आज (11 अक्टूबर) अपना फैसला सुना रहा है। लंबे सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने इस मसले पर अपना फैसला मई के महीने में ही सुरक्षित रख लिया था। जिस पर आज अहम फैसला सुना रहा है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है। अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।"
Live Updates
- 17 Oct 2023 1:16 PM IST
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं जिसमें उन्होंने समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं दी है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 17, 2023
- 17 Oct 2023 12:57 PM IST
LGBTQIA+ समुदाय को वैवाहिक समानता का अधिकार देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को वैवाहिक समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया।
- 17 Oct 2023 12:56 PM IST
विवाह का कोई अयोग्य अधिकार नहीं- सुप्रीम कोर्ट
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "विवाह का कोई अयोग्य अधिकार नहीं है सिवाय इसके कि इसे कानून के तहत मान्यता प्राप्त है। नागरिक संघ को कानूनी दर्जा प्रदान करना केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से ही हो सकता है। समलैंगिक संबंधों में ट्रांससेक्सुअल व्यक्तियों को शादी करने का अधिकार है।"
- 17 Oct 2023 12:34 PM IST
बच्चा गोद लेने के अधिकार पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ से असहमत
न्यायमूर्ति भट का कहना है कि वह समलैंगिक जोड़ों के बच्चा गोद लेने के अधिकार पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ से असहमत हैं और इस मामले पर कुछ चिंताएं जताते हैं।
- 17 Oct 2023 12:32 PM IST
"विवाह करने का अयोग्य अधिकार नहीं हो सकता- जस्टिस रवीन्द्र भट्ट
जस्टिस रवीन्द्र भट्ट ने कहा, "विवाह करने का अयोग्य अधिकार नहीं हो सकता जिसे मौलिक अधिकार माना जाए। हालांकि हम इस बात से सहमत हैं कि रिश्ते का अधिकार है, हम स्पष्ट रूप से मानते हैं कि यह अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है। इसमें एक साथी चुनने और उनके साथ शारीरिक संबंध का आनंद लेने का अधिकार शामिल है जिसमें गोपनीयता, स्वायत्तता आदि का अधिकार शामिल है। इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि जीवन साथी चुनने का विकल्प मौजूद है।" उन्होंने आगे कहा, "जब गैर-विषमलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह का कोई संवैधानिक अधिकार या संघों की कानूनी मान्यता नहीं है तो न्यायालय राज्य को किसी भी दायित्व के तहत नहीं डाल सकता है।"
- 17 Oct 2023 12:14 PM IST
जस्टिस रवींद्र भट्ट CJI द्वारा जारी निर्देशों से सहमत नहीं
जस्टिस रवींद्र भट्ट का कहना है कि वे विशेष विवाह अधिनियम पर CJI द्वारा जारी निर्देशों से सहमत नहीं हैं।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 17, 2023
- 17 Oct 2023 12:07 PM IST
श्रीपति रवींद्र भट्ट पढ़ रहे हैं फैसला
न्यायाधीश जस्टिस श्रीपति रवींद्र भट्टअपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि, अदालत मानती है कि शादी सामाजिक घटना है। एक संस्था के रूप में विवाह राज्य से पहले है। इसका मतलब यह है कि विवाह की संरचना सरकार से पहले है। विवाह की शर्तें सरकार की शर्तों से परे हैं।
- 17 Oct 2023 12:01 PM IST
समलैंगिकों के लिए कमेटी का होगा गठन- शीर्ष अदालत
CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकदारियों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करेगी। यह समिति राशन कार्डों में समलैंगिक जोड़ों को 'परिवार' के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकारों पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।"
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 17, 2023
- 17 Oct 2023 11:58 AM IST
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं, जो इस प्रकार है-
- केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि समलैंगिक जोडों के साथ भेदभाव न हो
- लोगों को उनके प्रति जागरूक करें
- उनकी सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं
- किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वह इसके बारे में समझने योग्य हो जाए
- किसी को जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव वाला हॉरमोन न दिया जाए
- पुलिस ऐसे जोड़ों की सहायता करे
- उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ परिवार के पास लौटने के लिए मजबूर न किया जाए
- ऐसे जोड़ों के खिलाफ FIR प्राथमिक जांच के बाद ही दर्ज हो
- केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि समलैंगिक जोडों के साथ भेदभाव न हो
- 17 Oct 2023 11:56 AM IST
संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहती सुप्रीम कोर्ट- सीजेआई
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हर व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह खुद को किस (स्त्री या पुरुष) तरह से पहचानता है। उन्होंने आगे कहा कि, संविधान के मुताबिक इस अदालत की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करे। शहर में रहने वाले सभी व्यक्तियों को एलीट व्यक्तियों के खांचे में नहीं रखा जाना चाहिए।
उन्होंने आगे संसद का जिक्र कर कहा कि, यह सदन को तय करना है कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं अदालतसंसद के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहती है।
Created On :   17 Oct 2023 11:42 AM IST