'सुप्रीम' फैसला: समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'शादी के लिए कानूनी मान्यता नहीं'
- सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाद को लेकर फैसला
- लंबे समय के बाद शीर्ष अदालत का आया बड़ा बयान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समलैंगिक शादियों पर सुप्रीम कोर्ट आज (11 अक्टूबर) अपना फैसला सुना रहा है। लंबे सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने इस मसले पर अपना फैसला मई के महीने में ही सुरक्षित रख लिया था। जिस पर आज अहम फैसला सुना रहा है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है। अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।"
Live Updates
- 17 Oct 2023 11:51 AM IST
विवाह कोई मौलिक अधिकार नहीं- सुप्रीम कोर्ट
फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, अपना साथी चुनने का अधिकार हर किसी को है। सीजेआई ने अनुच्छेद 21 को आधार बनाकर कहा कि इसके तहत सम्मान के साथ जीवन एक मौलिक अधिकार है। सरकार को खुद नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। विवाह को कानूनी दर्जा जरूर है, लेकिन यह कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
स्पेशल मैरिज एक्ट को अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को शादी करने देने के लिए बनाया गया है समलैंगिक विवाह के लिए इसे निरस्त कर देना गलत होगा। अगर इसी कानून (स्पेशल मैरिज एक्ट) के तहत अगर समलैंगिक विवाह को दर्जा दिया तो इसका असर दूसरे कानूनों पर भी पड़ेगा। इस पूरे मामले को संसद को देखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि, सरकार इस तरह के संबंधों को कानूनी दर्जा दे, ताकि उन्हें भी जरूरी कानूनी अधिकार मिल सकें। सुनवाई के दौरान सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया था।
- 17 Oct 2023 11:48 AM IST
अपनी पंसद से शादी करना मौलिक अधिकार- शीर्ष अदालत
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह पर फैसला पढ़ते हुए कहा,अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना किसी भी व्यक्ति मौलिक अधिकार है।
- 17 Oct 2023 11:47 AM IST
समय के साथ बदलाव होता रहा है- सीजेआई
समलैंगिक विवाह पर फैसला पढ़ते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हमारे सामने मौलिक अधिकार को लेकर ये मसला उठाया गया है। इसलिए हमारा फैसला किसी के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं माना जाएगा। कोर्ट कानून नहीं बनाता, लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है। यह एक ऐसा विषय है, जिसे सिर्फ शहरी उच्च तबके तक सीमित नहीं कहा जा सकता। हर वर्ग में ऐसे लोग हैं. हर संस्था में समय के साथ बदलाव आता है। विवाह भी ऐसी संस्था है। पिछले 200 सालों में सती प्रथा खत्म होने, विधवा विवाह से लेकर अंतर्धार्मिक, अंतरजातीय विवाह तक में बदलाव हुए हैं।
- 17 Oct 2023 11:44 AM IST
सुप्रीम कोर्ट दखल न दें- केंद्र सरकार
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा, कुल 4 फैसले हैं। कुछ बातों पर सहमती बन गई हैं, कुछ पर नहीं बनी है। मैं अपने फैसले के अंश पढ़ रहा हूं। शक्तियों का बंटवारा संविधान में दिया गया है। कोई भी अंग दूसरे के अधिकार क्षेत्र का काम नहीं करता है। केंद्र ने आगाह किया कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी शादी को मान्यता देकर संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देगा।
Created On :   17 Oct 2023 11:42 AM IST