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सेलू: बीमा निकाला फिर भी किसान आर्थिक मदद से वंचित, सोयाबीन की फसल हुई थी नष्ट
- खरीफ के मौसम में हुई अतिवृष्टि से नष्ट
- सोयाबीन की फसल हो गई थी खराब
- बीमा निकाला फिर भी किसान आर्थिक मदद से वंचित रहे
डिजिटल डेस्क, सेलू. पिछले खरीफ मौसम में बारिश के कारण किसानों की फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। इस में अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल नष्ट हो गयी। इन किसानों को अब तक सरकार की ओर से अथवा बीमा कंपनी की ओर से कोई भी नुकसान भरपाई नहीं मिली है। एक ओर सरकार की ओर से आंकड़ेवारी घोषित कर नुकसान भरपाई देने की बात कही जाती है प्रत्यक्ष में अनेक किसानों को अब तक नुकसान के मदद का इंतजार है। यदि सरकार किसानों को मदद नहीं दे सकती तो बीमा संरक्षण देने जैसा मजाक नहीं करना चाहिए, ऐसा संतप्त किसानों की ओर से बोला जा रहा है। गत वर्ष बारिश के कारण किसानों की फसलों का नुकसान हुआ। इसमें सोयाबीन की फसल अतिवृष्टि के कारण किसानों के हाथ से निकल गयी। जिन किसानों की सोयाबीन की फसल बची। उन्हें केवल प्रति एकड़ 1 से दो क्विंटल ही उत्पादन मिला जिससे फसल के लिए लगाया खर्च भी नहीं निकला। सरकार ने एक रुपए में किसानों के फसल को बीमा संरक्षण दिया।
इस एक रुपए के बीमा के लिए किसानों को 200 रुपए खर्च करने पड़े। ऐसा होने पर भी अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान के पंचनामा करने के लिए बीमा कंपनी की ओर शिकायत दर्ज की लेकिन प्रत्यक्ष में बीमा कंपनी का एक भी कर्मचारी किसानों के खेतों तक नहीं पहंुचा। पंचनामा करने के बारे में अनेक बार शिकायत करने पर भी बीमा कंपनी की ओर से अनदेखी की गई। बीमा कंपनी के लोगों को कुछ किसानों के साथ साठगांठ कर सफेद कागज काले करने की जानकारी है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार कुछ ही किसानों को मदद के पैसे मिले मात्र अनेक नुकसानग्रस्त किसान आज भी मदद से वंचित होने का बोला जा रहा है। बीमा सुरक्षा कवच होने पर भी किसानों को अब तक मदद नहीं मिली। अब चुनाव को देखते हुए कुछ किसानों को मदद देने के आंकड़े दर्शाये गये मात्र यह केवल किसानों को गुमराह करनेवाली ही बात होने का किसानों द्वारा कहा जा रहा हैै। यदि सरकार किसानों को मदद नहीं दे सकती तो बीमा संरक्षण देने जैसा मजाक नहीं करना चाहिए, ऐसा संतप्त किसानों की ओर से बोला जा रहा है।
प्रशासन व्यवस्था में इस काम में विलंब क्यों हो रहा है एेसा सवाल किसानों ने पूछा है। आज भी किसान मदद मिलने की आस लगाए हुए हंै। लेकिन सरकार की ओर से केवल आश्वासन ही दिए जा रहे हैं। सोयाबीन की फसल का नुकसान होने पर अनेक किसानों ने अपनी खड़ी फसल में मवेशियों को छोड़ दियातो कुछ किसानों ने रोटावेटर चलाया। सरकार केवल किसानों के हित में होने का दिखावा करता है। वास्तव में सरकार को किसानों से कोई लेना देना नहीं होने का दिखाई दे रहा है। केवल मदद की घोषणा के अलावा किसानों के हाथ कुछ नहीं लगा है, ऐसा किसानों द्वारा कहा जा रहा है।
Created On :   9 April 2024 2:02 PM GMT