New Delhi News: सैनिटरी कचरे का प्रबंधन - महाराष्ट्र का कराड शहर पेश कर रहा अनोखा उदाहरण

सैनिटरी कचरे का प्रबंधन - महाराष्ट्र का कराड शहर पेश कर रहा अनोखा उदाहरण
  • शहर में रोजाना जमा होता है 350 किग्रा तक सैनिटरी कचरा
  • महाराष्ट्र का कराड शहर पेश कर रहा अनोखा उदाहरण

New Delhi News. भारत में सैनिटरी कचरे का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। सैनिटरी कचरे का ठीक से निपटान नहीं किया जाए तो इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं। इस बीच महाराष्ट्र के सतारा जिले का एक शहर कराड सैनिटरी अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान में एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है। दरअसल सैनिटरी और बायोमेडिकल कचरे के शत प्रतिशत पृथक्करण, संग्रह और प्रसंस्करण के साथ कराड ने प्रभावी और टिकाऊ कचरा प्रबंधन के लिए देश में एक मानक स्थापित किया है। केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के मुताबिक कराड में अस्पतालों, क्लीनिकों, घरों और अन्य स्थानों से प्रतिदिन लगभग 300 से 350 किलोग्राम सैनिटरी कचरा जमा किया जाता है। इस कार्य में आम लोगों के साथ प्रशासन की भी अहम भूमिका रहती है। कराड नगर परिषद ने महिलाओं के साथ मिलकर महिला समूहों का गठन किया। महिला समूहों ने आवासीय क्षेत्रों में उचित सैनिटरी अपशिष्ट निपटान और पृथक्करण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए पूरे शहर के सार्वजनिक शौचालयों में अलग-अलग लाल डिब्बे लगाए गए हैं, जिससे महिलाओं के लिए सैनिटरी कचरे का जिम्मेदारी से निपटान करना आसान हो गया है।

अस्पताल एसोसिएशन के साथ नगर परिषद का है करार

मंत्रालय के मुताबिक सैनिटरी कचरे के निपटान को बेहतर बनाने के लिए कराड नगर परिषद ने सैनिटरी और बायोमेडिकल कचरे के उपचार के लिए कराड अस्पताल एसोसिएशन के साथ साझेदारी की है। समझौते के तहत अस्पताल एसोसिएशन ने 600 किलोग्राम प्रति दिन की कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) की स्थापना की है, जहां नगर परिषद द्वारा नि:शुल्क एकत्र किए गए सैनिटरी कचरे का प्रसंस्करण किया जाता है। शहर के सभी सैनिटरी कचरे को इस सुविधा से जलाया जाता है, जिसमें 1200 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान तक पहुंचने में सक्षम एक केन्द्रीकृत भस्मक होता है।

स्कूलों में लगी हैं सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन

कराड में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन और निपटान प्रणाली स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही शहर की आईईसी टीम स्वच्छतापूर्ण निपटान प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जैसे कि इस्तेमाल किए गए सैनिटरी पैड को फेंकने से पहले उन्हें कागज में लपेटा जाता है। इस पहल ने कई स्कूलों को भस्मक स्थापित करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे सैनिटरी कचरे का उचित प्रसंस्करण सुनिश्चित होता है और बचे हुए अवशेषों को बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार संयंत्र में भेजा जाता है। स्कूलों को सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन और निपटान प्रणाली स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।

Created On :   16 April 2025 7:54 PM IST

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