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दो वर्ष पहले सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में खुली थी फाइल, फिर किसी ने चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझा
डिजिटल डेस्क, कटनी । प्रदेश के अन्य शहरों में जब जनसुविधाओं में वृद्धि के लिए बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं तब कटनी शहर कस्बा के स्वरूप से मुक्त नहीं हो पाया। यहां जनप्रतिनिधियों ने सपने तो बड़े-बड़े दिखाए पर उन्हे कार्यरूपमें परिणित करने में अब तक ठोस पहल नहीं की गई। इसी तरह का सपना पांच साल पहले अंतर्राज्यीय बस स्टैंड का भी दिखाया गया था। इसके लिए बकायदे जमीन भी आवंटित हो चुकी है पर पांच साल बाद भी अंतर्राज्यीय बस स्टैंड बनाने की पहल शुरू नहीं हो पाई। यह जरूर है कि दो साल पहले सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में अंतर्राज्यीय बस स्टैंड पर चर्चा हुई थी और तब भी जल्द की काम शुरू करने का वादा जनप्रतिनिधियों ने किया था। तब लोगों को लगा था कि अंतर्राज्यीय बस स्टैंड का सपना जल्द साकार होगा, उसके बाद फिर किसी ने चर्चा भी करने की आवश्यकता नहीं समझी।
जनप्रतिनिधियों की ्रबेरुखी
जानकारी के अनुसार अंतर्राज्यीय बस स्टैंड के लिए ट्रांसपोर्टनगर के पास 2017 में 15 हैक्टेयर जमीन आवंटित हो चुकी है। इसके निर्माण के लिए परिवहन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया था। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद तत्कालीन प्रशासन ने जमीन आवंटन के लिए जितनी तत्परता दिखाई वैसी शासन स्तर से नजर नहीं आई। उसी का परिणाम है कि पांच साल बीतने के बाद भी अंतर्राज्यीय बस स्टैंड आकार नहीं ले सका। यदि जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली होती तो अब तक निर्माण हो चुका होता।
झिंझरी में भी नहीं बना क्षेत्रीय बस स्टंैड
दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर एस.बी.सिंह ने शहर के भीतर बसों की आवाजाही को देखते हुए झिंझरी में क्षेत्रीय बस स्टैंड बनाने के लिए जमीन आवंटित की थी। क्षेत्रीय बस स्टैंड निर्माण की जिम्मेदारी नगरनिगम को सौंपी गई थी। कलेक्टर का तबादला होते ही यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। झिंझरी में क्षेत्रीय बस स्टैंड बनाने का उद्देश्य जबलपुर, सिहोरा,
ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, बाकल आदि क्षेत्रों से आने वाली बसों का शहर के भीतर प्रवेश रोकना था।
38 साल पहले बना था बस स्टैंड
नगर में वर्तमान में संचालित प्रियदर्शनी बस स्टैंड का निर्माण 1984 में किया गया था। यहां से चलने वाली बसों की संख्या भी उतनी नहीं थी। अब इसी स्टैंड से प्रतिदिन लगभग दो सौ से अधिक बसें संचालित होती हैं। आलम यह है कि यहां बसों के खड़े होने की भी पर्याप्त जगह नहीं रह गई है। वर्तमान बस स्टंैड के आसपास अब घनी आबादी बस चुकी है। जिससे बसों के आने-जाने में हमेशा हादसों का खतरा मंडराता रहता है और कई बाद दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
Created On :   20 Jun 2022 4:57 PM IST