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बेतुके बयान से भडक़े इंजीनियर इन चीफ ने कहा लागत कम करने के लिए सही
डिजिटल डेस्क, कटनी स्लीमनाबाद में नर्मदा नहर पर निर्माणधीन टनल के टीबीएम कटर रिपेयरिंग के गड्ढे में दो मजदूरों की मौत के मामले की के लिए गुरुवार को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के इंजीनियर इन चीफ राजीव सुकलीकर टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। इनके साथ विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और निर्माण कंपनी का तकनीकी अमला मौजूद रहा। मौके पर ही लापरवाही मिलने पर सभी लोगों को जमकर फटकार लगाई। गड्ढे की साइज पर जब अधिकारी ने सवाल उठाया तो यहां पर स्थानीय अधिकारी लागत की बात करने लगे। जिसमें सफाई दी गई कि यह गड्ढा जहां 20 लाख रुपए में तैयार हो जाता, वहीं यदि इसका साइज बड़ा किया जाता तो अधिक खर्च आता। बेतुका बयान पर श्री सुपलीकर ने फटकार लगाते हुए कहा कि क्या लागत कम करने के लिए काम करने वालों की जान जोखिम में डाल देना उचित है। अफसर की नाराजगी के बाद मौजूद अमला बगलें झांकने लगा। कुछ समय के लिए यहां पर सन्नाटा पसरा रहा और अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। यहां पर करीब एक घंटे तक इंजीनियर इन चीफ रहे। जांच के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने बस इतना कहा कि वे अपनी रिपोर्ट भोपाल में शासन को सौंपेगे। यहां से जांच अधिकारी अपस्टीम सलैया पहुंचे जहां उन्होंने बैठक लेकर एक-एक बिन्दु की जानकारी ली। जिससे अधिकारी सहमें रहे।
हादसे पर एक नजर, 2 मजदूरों की हो गई थी मौत
यह हादसा 11 फरवरी को स्लीमनाबाद में टनल बोरिंग मशीन के रिपयेरिंग गड्ढे में हुआ था। शाम करीब 7.30 पर सभी मजदूर गड्ढे के अंदर और बाहर काम कर रहे थे कि अचानक से गड्ढे की मिट्टी चारों तरफ से धंसकने लगी। जिसमें गड्ढे के अंदर 9 मजदूर समा गए। तीन मजदूर तो आधे से एक घंटें के अंतराल में बाहर आ गए, लेकिन मिट्टी के मलबे के नीचे दबे 6 मजदूरों को निकालने के लिए 28 घंटे का रेस्क्यू एसडीआरएफ और एनडीआरएफ टीम ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर चलाया था। जिसमें से 4 मजदूर जो सिंगरौली के रहे। उन्हें मौत के मुंह से रेस्क्यू टीम ने निकाला। 2 मजदूरों की मलबे में दबकर मौत हो गई थी। मौत के बाद जांच की मांग लोगों के द्वारा की जा रही थी।
बोरिंग पर उठाया सवाल
गड्ढे के आसपास कंपनी के द्वारा बनाए गए बोरिंग पर भी अफसरों ने सवाल उठाया। प्रत्येक बोरिंग की दूरी करीब 20 फीट रही। इस पर अधिकारियों ने कहा कि यदि बोरिंग की आवश्यकता पानी निकासी के लिए रही तो इसके बीच में 10-10 फीट की दूरी होनी थी। इसके बावजूद मनमाने ढंग से बोरिंग की। अन्य तकनीकी पहलुओं पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी और ठेका कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी घिरते हुए नजर आए। टीम की जैसे-जैसे जांच बढ़ रही थी। अफसरों के चेहरे की रंगत भी उसी तरह से बदल रही थी।
लापरवाही तो हुई है
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के जो अधिकारी अभी तक हादसे पर अफसोस जताते हुए तकनीकी खामियों का हवाला दे रहे थे। उस मामले में लापरवाही की वह जानकारी सामने आई है। जिसकी जानकारी देने से अधिकारी बच रहे थे और हादसे को दूसरी दिशा में मोडऩे के लिए बहानेबाजी कर रहे थे। दरअसल नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन आईपीसी केशरी 22 दिसम्बर को बरगी व्यप्रवर्तन योजना के तहत टनल का कार्य देखने पहुंचे हुए थे। यहां पर टीबीएम रिपेयरिंग के लिए 220 मीटर लंबाई में गड्ढा किए जाने की बात एसीएस के सामने कही थी, लेकिन उस जगह पर 8 बाई 15 का गड्ढा किया गया, जो दो मजदूरों के लिए जानलेवा बना।
Created On :   4 March 2022 2:34 PM IST