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29 में से सात गौशालाएं बंद, 22 को छह माह बाद जारी हुई जुलाई की राशि
डिजिटल डेस्क कटनी भोपाल की गौशाला में गायों की मौत ने शासकीय गौशालाओं की स्थिति को उजागरकर दिया है। जिले की गौशालाओं में भोपाल जैसी स्थिति भले ही निर्मित नहीं हुई लेकिन इनका संचालन स्व सहायता समूह किस तरह कर रहे हैं यह वे ही समझ सकते हैं। क्योंकि समय पर भूसा, चारा, बिजली बिल का भुगतान नहीं होने से उधार लेकर बूढ़ी गायों को जिंदा रखने विवश हैं। जिले में 29 गौशालाएं हैं, इनमें से सात को आर्थिक तंगी के चलते बंद कर दिया गया है। जबकि छह माह बाद 22 गौशालाओं को जुलाई एवं अगस्त की राशि जारी की है। सितम्बर से जनवरी तक पांच माह की राशि अब भी शेष है। गौशालाओं की गायों की स्थिति का इसी से अनुमान लगाया जाता सकता है कि जब छह माह तक चारा-भूसा की राशि ही नहीं मिलेगी तो गायों को स्व सहायता समूह क्या खिलाएंगे। यही कारण है कि यह गौशालाएं एक-एक कर बंद होती जा रही हैं।
जंगल के भरोसे जिंदा हैं मवेशी
ऐरा प्रथा पर रोक लगाने एवं गौवंश सरंक्षण के लिए तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई गौशालाओं के मवेशी जंगल के भरोसे जिंदा हैं। पडऱवारा की गौशाला के मवेशियों को स्व सहायता समूह के सदस्य चरने के लिए जंगल में छोड़ देते हैं। समूह की महिला सदस्यों ने तर्क दिया कि साल-साल भर चारा-भूसा का पैसा नहीं मिलता है और गौशाला में बंधे रहने से मवेशी कमजोर होते हंै, इसलिए जंगल भेज दिया जाता है।
आय के स्त्रोत बढ़ाने करने होंगे प्रयास
गौशालाओं के संचालन में शासन द्वारा जिस तरह की उदासीनता दिखाई जा रही है, उसे देखते हुए ग्राम पंचायतों को स्वयं ही आय के स्त्रोत तैयार करना होंगे। हालांकि शासन ने प्रत्येक गौशाला में पांच-पांच एकड़ जमीन भी दी है ताकि वहां चारा उगाया जाए लेकिन समूह के सदस्यों एवं ग्राम पंचायतों ने इस दिशा में कभी प्रयास नहीं किया। बेहतर तो यह होगा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौ संरक्षण शुल्क की व्यवस्था हो और इसका उपयोग गौशालाओं के संचालन के लिए किया जाए। इसके अलावा दानदाताओं से सहयोग लेकर या जन्म, विवाह प्रमाणपत्र जारी करने गौसेवा शुल्क निर्धारित फंड कीव्यवस्था करने के प्रयास किए जा सकते हैं।
1598 मवेशियों के लिए राशि जारी
पशु चिकित्सा विभाग प्रभारी उप संचालक डॉ.आर.के.सिंह के अनुसार जिले की 22 गौशालाओं के 1598 गौवंश के लिए जुलाई की 990760 रुपये और अगस्त के लिए 1051520 रुपये की राशि शासन से प्राप्त होने पर आवंटन के लिए प्रस्ताव जिला पंचायत भेजा गया है।
Created On :   7 Feb 2022 11:03 AM IST