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ढाई हजार कुपोषितों को थर्ड मील देने पालिसी ही तय नहीं हुई, हर माह तीन करोड़ से ज्यादा खर्च
डिजिटल डेस्क, कटनी। बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के अभियान किस तरह कागजी खानापूर्ति तक सीमित है, इसके नजारे तो शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों में तो देखने मिल रहे हैं। विभाग की लाचारी का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि जिले के ढाई हजार से अधिक अति कुपोषित बच्चों को थर्ड मील देने पॉलिसी ही तय नहीं हुई है। ट्रेनिंग, वर्कशाप और अभियानों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा लाखों का बजट खर्च किया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं के मानदेय और पोषण आहार में ही हर माह तीन करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं पर जिनके लिए भारी भरकम बजट फूंका जा रहा है, उन्हे ही पोषण आहार नहीं मिल रहा है। क्योंकि शहरी क्षेत्र में दस बच्चे भी आंगनबाड़ी केन्द्रों नहीं पहुंच रहे, जबकि भुगतान 25-30 बच्चे प्रति केद्र के मान से किया जा रहा है।
यह है कुपोषण की स्थिति
जिले के 1710 आंगनबाड़ी केन्द्रों में शून्य से पांच वर्ष तक के एक लाख 33 हजार बच्चे दर्ज हैं। वर्ष 2018 में किए गए सर्वे में इनमें से 23523 बच्चे कम वजन के एवं 2527 बच्चे अति कम वजन के चिन्हित हुए थे। चालू वित्त वर्ष में 10 जून से शुरू किए गए दस्तक अभियान में एक सप्ताह में 26 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। जिसमें 935 बच्चे कुपोषित मिले। जबकि यह अभियान 20 जुलाई तक चलना है। पिछले सत्र में चिन्हित हुए अतिकुपोषित बच्चों को थर्ड मील देने के भी निर्देश हैं पर अब तक जिले तो क्या पूरे प्रदेश में इसके लिए पॉलिसी ही तय नहीं हुई है। दरअसल नियम यह है कि अति कुपोषित बच्चों को घर पर भी पौष्टिक आहार मिले, इसके लिए थर्डमील देने की योजना लागू की गई।
कमरे ऐसे कि दस बच्चे नहीं बैठ सकते
शहरी क्षेत्र में 183 आंगनबाड़ी केन्द्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। शासन ने शहरी क्षेत्रों किराया तीन हजार रुपये तक बढ़ा दिया है पर ज्यादातर सेंटर इतने छोटे कमरों में लग रहे हैं कि एक साथ दस बच्चे नहीं बैठ सकते। ऐसे भवनों में टॉयलेट भी नहीं हैं। केन्द्र क्रमांक 39 तो ऐसे भवन में संचालित हैं, जहां एक साथ पांच बच्चे भी नहीं बैठ पाते हैं। कार्यकर्ता के लिए कुर्सी रखने की भी जगह नहीं है। इसी तरह केन्द्र क्रमांक 176, 198 के भी हालात ऐसे हैं। जबकि केन्द्र क्रमांक 38 प्रथम मंजिल पर लगता है और जबकि इसे अधिकारी नियम विरुद्ध मानते हैं।
इनका कहना है
कुपोषित बच्चों को थर्ड मील के रूप में चना-गुड़, मुरमुरा, मूंगफली की गुड़पट्टी दिया जाना है। इसके लिए जिला स्तरीय समिति में अनुमोदन कराया जाएगा। छोटे कमरों एवं फस्र्ट फ्लोर में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों की जांच कराई जाएगी। -नयन सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी
Created On :   9 July 2019 2:24 PM IST