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एनसीएल लगायेगा 50 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता वाला सौर ऊर्जा संयंत्र
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डिजिटल डेस्क सिंगरौली (मोरवा)। एनसीएल प्रबंधन जल्द ही निगाही परियोजना की भूमि पर एक सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करेगा। 50 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले इस संयंत्र को एनसीएल व एनटीपीसी के ज्वाइंट वेंचर के जरिये स्थापित किया जायेगा। दोनों की कम्पनियों के द्वारा 50-50 प्रतिशत खर्च की भागेदारी निभायी जायेगी। हरित ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे इस कार्य में तकरीबन 170 करोड़ रूपये खर्च आने का अनुमान लगाया जा रहा हैं। इस संयंत्र की स्थापना के लिए सीआईएएल एनटीपीसी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड(सीएनयूपीएल) से एमओयू किया गया है। कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया लिमिटेड को वित्तीय वर्ष 2023-24 तक सौर ऊर्जा के जरिए 3 हजार मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य दिया है। बीते सप्ताह ही मंत्रालय ने कोल इंडिया सहित सभी अनुषांगिक कम्पनियों को इस ओर तेजी से कार्य करने के लिए निर्देशित किया साथ ही प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है। गौरतलब यह है कि सौर ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन को लेकर कोयला मंत्रालय बेहद गंभीर है और रूफटॉप के साथ सोलर पार्क विकसित किए जाने का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है जिसकी निगरानी कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल स्वयं कर रहे हैं। इससे पहले एनटीपीसी शक्तिनगर ने जयंत के नेहरू अस्पताल के ठीक सामने 15 मेगावाट का फोटो वोल्टिक सोलर प्लांट लगा कर जिले में सोलर इनर्जी का बड़ा केन्द्र तकरीबन 5 वर्षों पूर्व शुरू कर दिया है। जिसे एनटीपीसी अपने उपयोग में ले रहा है।
स्वत : उपयोग के लिए किया जायेगा का उत्पादन
बताया जा रहा है कि 50 मेगावाट के इस सोलर प्लांट से एनसीएल को एक नेट जीरो एनर्जी कम्पनी बनने का अवसर मिलेगा। नेट जीरो एनर्जी कम्पनी अपने संचालने के लिए शत प्रतिशत नवीनीकरणीय ऊर्जा जो कि स्वयं के स्त्रोतों से निर्मित होती है उसका स्वयं उपयोग करती है। इससे पूर्व एनसीएल ने अपने कार्यालय व आवासीय परिसरों की छतों पर 3.37 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा सिस्टम पर कार्य करना शुरू कर दिया है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम
जिले में कोयले से संचालित होने वाले विद्युत संयंत्रों की संख्या बढऩे के साथ ही प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है। कोयला मंत्रालय के निर्देश पर ही सही लेकिन यदि एनसीएल स्वयं के लिए सोलर इनर्जी का उत्पादन शुरू करती है तो यह जिले में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा साथ ही विद्युत की बचत भी होगी। एनसीएल अपने उपयोग के लिए यूपी और एमपी स्थित कोयला खदानों में बिजली की भारी खपत करती है, इस प्रयोग से कम्पनी को बिजली के खर्च के रूप में प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रूपये की बचत होगी।
Created On :   2 Sept 2021 2:47 PM IST