नजीर - व्यक्तिगत खुशियों पर भारी प्रोफेशन की जिम्मेदारी

Nazir - Responsibility for heavy profession on personal happiness
नजीर - व्यक्तिगत खुशियों पर भारी प्रोफेशन की जिम्मेदारी
नजीर - व्यक्तिगत खुशियों पर भारी प्रोफेशन की जिम्मेदारी

- 7 फेरे लेकर लौटे डॉक्टर नई नवेली दुल्हन को घर छोडकऱ पहुंच गए अस्पताल
- डॉक्टर के घर आयी लक्ष्मी, ड्य़ूटी के आगे उसे जीभर कर देख भी नहीं पा रहे
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)।
चिकित्सकीय कार्य से जुड़े जिम्मेदार डॉक्टर्स न सिर्फ कोरोना संक्रमण से जूझते संक्रमितों के इलाज में दिनरात जुटे हैं बल्कि इसके आगे इन्होंने अपनी उन व्यक्तिगत खुशियों की भी परवाह नहीं की, जीवन में जिसका इंतजार सभी को बड़ी ही बेसब्री से रहता है। जी हां, ये दोनों चिकित्सक हैं जिला अस्पताल वैढऩ के एमडी मेडिसिन डॉ. गंगा वैश्य और सर्जन डॉ. बालेन्दु शाह। हालांकि इस पेशे के सभी लोग इस समय पूरी शिद्दत के साथ सेवा में जुटे हुए हैं, लेकिन ये दोनों नजीर बन गये हैं। जाहिर है कि ये दौर संकट भरा है और इस दौरान लोग अपनी खुशियों को दांव पर लगाकर, संक्रमण के संकट से लोगों को बचाने में भी योगदान दे रहे हैं, वह काबिले तारीफ है। ऐसे लोगों का हौसला बढ़ाना भी संक्रमण के दौर में अहम कार्य है इसलिए फिलहाल इससे पीछे नहीं हटना चाहिए। 
मेंहदी रचे हांथ लेकर पहुंच गये मरीजों का हाल जानने
एमडी मेडिसिन डॉ. गंगा वैश्य ट्रॉमा सेंटर में संचालित कोविड वार्ड के प्रभारी चिकित्सक हैं। ऐसे में यहां 150 बेड में भर्ती संक्रमितों से जुड़े कार्य के आगे उनकी व्यस्तता का अंदाजा लगाया जा सकता है। गुरूवार 29 अप्रैल को दुधिचुआ गायत्री मंदिर में उनकी शादी हुई है।  कोविड के कारण शादी बिल्कुल सादे अंदाज में गिनती के परिजनों की उपस्थिति में हुई। शादी के लिए उन्हें 2 दिन का अवकाश भी मिला था। लेकिन, 5 बजे शादी संपन्न होते ही 7 बजे अस्पताल पहुंच गये। उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के फोन आ रहे थे, जिसके बाद घर में बैठना उचित नहीं लगा। हालांकि उनकी नई-नवेली पत्नी भी डॉक्टर हैं इसलिये उन्हें यह फैसला लेने में संकोच भी नहीं हुआ। दूसरे दिन भी उनकी छुट्टी स्वीकृत थी लेकिन वह मरीजों का हाल-चाल जानने अस्पताल गए। डॉ. गंगा का कहना है कि शादी हमारी व्यक्तिगत खुशी है, लेकिन यह समय महामारी का है और इसके लिए मेरी क्या जिम्मेदारी यह मैं कैसे भूल सकता हूॅ?
5 दिन पहले पैदी हुई लाडली को दुलार भी नहीं पाये
सर्जन डॉ. बालेन्दु शाह ट्रॉमा सेंटर में संचालित कोविड आईसीयू में इन दिनों ड्यूटी कर रहे हैं। इसी बीच 26 अप्रैल को उनकी पत्नी की डिलीवरी हुई और एक बेटी पैदा हुई। संयोग है कि जिस ट्रॉमा में वह ड्यूटी कर रहे हैं, बेटी वहीं के गायनी विभाग में पैदा हुई और वह अभी अस्पताल में भर्ती भी है। बेटी के पैदा होने की खुशी एक पिता को कितनी होती है, यह बयान नहीं किया जा सकता। लेकिन स्थिति यह है कि डॉ. बालेन्दु चाहकर भी अपनी लाडली को दुलार करना तो दूर उसे जीभर कर निहार भी नहीं पा रहे हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि लगातार कोविड आईसीयू में कोरोना संक्रमितों के बीच रहने के कारण वह भी इफेक्टेट हो गए होंगे। इसलिए बेटी के पास जाने से उन्हें डर लगता है। इसलिए अपने अरमानों को सीने में दबाकर डॉ. बालेन्दु एक दिन दूर से ही बेटी को सिर्फ दूर से देखकर वापस आ गए और उन्हें इंतजार है कि वह कब अपनी लाडली को अपने हाथों में लेकर दुलारेंगे।

Created On :   1 May 2021 7:14 PM IST

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