खनन माफिया को बचाने वन रक्षक की हत्या को बताया दुर्घटना, पुलिस की भूमिका संदिग्ध

Mining mafia rescues forest guard killed in accident, police suspects role
खनन माफिया को बचाने वन रक्षक की हत्या को बताया दुर्घटना, पुलिस की भूमिका संदिग्ध
खनन माफिया को बचाने वन रक्षक की हत्या को बताया दुर्घटना, पुलिस की भूमिका संदिग्ध


डिजिटल डेस्क सिंगरौली। वन रक्षक की मौत के बाद वाणी-झरिया वन क्षेत्र अवैध खनन का गोरखधंधा लाइम लाइट में आ गया है। बताया जाता है कि इस वन क्षेत्र से बोल्डर का अवैध परिवहन दिन भर तो होता ही है। रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक साइकिल व ट्रैक्टरों से कोयला व बोल्डर का परिवहन किया जाता है। हैरत करने वाली बात यह है कि अभी तक किसी भी कोयला व बोल्डर चोरी करने वाले के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीण बताते हैं कि पुलिस खनन माफिया पर पर्दा डालने के लिये उसे बचा रही है। जबकि गांव के कई लोगों को पता है कि वन रक्षक की हत्या कर उसे दुर्घटना साबित करने का प्रयास किया गया है। सूत्रों की मानें तो वाणी-झरिया वन क्षेत्र के आसपास कई गांव भी स्थित हैं। काफी दिनों पहले वाणी झरिया में कोयला निकलना शुरू हुआ था। पहले स्थानीय लोग उसमें कोयला निकाल कर अपने दैनिक उपयोग में ला रहे थे। लेकिन इधर कुछ सालों से इस अवैध कोयला खदान पर क्षेत्रीय कोयला माफिया की नजर पड़ गई। खनन माफिया वन और पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर बोल्डर व कोयला चोरी का गोरखधंधा बड़े स्तर कर रहा है। वाणी-झरिया में पदस्थ मृतक वन रक्षक के परिजनों और आसपास के ग्रामीणों ने आरोप भी लगाया है कि वाणी-झरिया स्थित मंदिर के पास अवैध बोल्डर लदी ट्रैक्टर ट्राली मिली थी।
हिस्सा मिलता है तो क्यों रोकें?
क्षेत्रीय ग्रामीणों की मानें तो वाणी-झरिया स्थित कोल खदान से कोयला चोरी कर ट्रैक्टरों, साइकिलों व अन्य वाहनों से परिवहन करने का सिलसिला रात-दिन चलता है। जिसकी जानकारी पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी रहती है। लेकिन सबका हिस्सा बंधा हुआ है इसलिये कोई इस ओर नजर नहीं डालता है। वन रक्षक के बारे में कहा जाता है कि उसने जब रोका होगा, जिसकी वजह से उसकी हत्या की गई होगी। ग्रामीण तो कई नाम खुलेआम ले रहे हैं, जिनकी इस मामले में लिप्तता हो सकती है।
एक दो ट्रैक्टरों के विरूद्ध कार्रवाई कर औपचारिकता
माड़ा वन क्षेत्र में पत्थर चोरी का कार्य वृहद स्तर पर किया जाता है। जिसका उपयोग शासकीय व निजी मकानों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। लेकिन पुलिस व वन विभाग आंख मूंदे रहता है। महीने दो महीने में एक दो ट्रैक्टरों को जब्ती दिखाकर औपचारिकता निभा दी जाती है। लेकिन पत्थर चोरी का मामला निर्वाध रूप से निरंतर चलता रहता है।
पुलिस ने संदेहियों को उठाया
वन मुंशी की मौत के मामले में परिजनों द्वारा हत्या की आशंका जाहिर करने के बाद माड़ा पुलिस संदेहियों को थाने में बुलाकर पूछताछ कर रही है। इसके अलावा पुलिस घटना व ड्यूटी स्थल की काल डिटेल निकालने में जुटी हुई है ताकि मोबाइल सीडीआर से पता लगाया जा सके कि रात 12 बजे के बाद उक्त स्थल पर कौन सा मोबाइल मौजूद था। फिलहाल संदेहियों को अलग-अलग बैठाकर की गई पूछताछ के बाद उनके बयानों में अंतर नहीं मिला। लेकिन पुलिस के पास अभी भी मृतक के बाइक की चाभी व गायब अन्य सामग्री को लेकर कोई जवाब मौजूद नहीं है। पुलिस जांच जारी रखने का दावा कर रही है।

Created On :   28 Feb 2021 6:26 PM IST

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