खनन और खपत बढ़ी, ईटीपी की संख्या कम होती गई, गेटपास की पर्ची से कटनी

Mining and consumption increased, the number of ETP decreased, the gatepass slip was cut
खनन और खपत बढ़ी, ईटीपी की संख्या कम होती गई, गेटपास की पर्ची से कटनी
कटनी खनन और खपत बढ़ी, ईटीपी की संख्या कम होती गई, गेटपास की पर्ची से कटनी

डिजिटल डेस्क  कटनी । प्रदेश को आर्थिक संकट से उबारने जो नई रेत खनन नीति प्रदेश सरकार बनाई थी, उसमें ठेका कंपनी ने इतने छेद कर दिए कि सरकार के खजाने को सीधे चपत लग रही है। पिछले तीन माह का ही रिकार्ड देखा जाए तो खदानों से खनन धुआंधार हो रहा है। यहां से दमोह, रीवा, सतना तक रेत की  सप्लाई हो रही है। यानि खपत भी बढ़ी है लेकिन ई-टीपी कम होती जा रही है। ई-टीपी के बजाय ठेका कंपनी ने अपना स्वयं का ट्रांजिट पास बना लिया, जिसे गेटपास का नाम दिया गया और कंपनी का यही ट्रांजिट पास जिले भर में अघोषित रुप से वैध है। इसे वैध करने वाले भी वे ही लोग हैं जिन्हे यह हेराफेरी रोकने की  जिम्मेदारी शासन ने दी है पर ठेका कंपनी की करतूतों को उजागर करने के बजाय उस पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं। जिससे ठेका कंपनी शासन की आंखों में आसानी से धूल झोंक रही है। कटनी जिले की खदानों से रेत खनन का ठेका विस्टा सेल्स प्रा.लि. को मिला है और यह कंपनी गेट पास के नाम पर जमकर अवैध उत्खनन कर रही है। प्रशासन ने रेत का अवैध परिवहन रोकने के लिए जिले में सात स्थानों पर नाके भी स्थापित किए हैं, इन नाकों में भी ठेका कंपनी के कर्मचारियों को कब्जा है। जिनके माध्यम से गेटपास के नाम पर रेत की सप्लाई आसानी से हो रही है। जानकारों के अनुसार जिले में 50 फीसदी से अधिक रेत के वाहन गेटपास की पर्ची पर दौड़ रहे हैं। निर्माण कार्यों की रफ्तार बढ़ी पर ई-टीपी की संख्या नहीं बारिश का सीजन समाप्त होने के बाद एक अक्टूबर से रेत खदानों में वैधानिक रूप से फिर से खनन शुरू हुआ। वहीं कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लगा कोरोना कफ्र्यू भी एक जून 2020 को समाप्त हो गया था। जिससे व्यवसायिक रगतिविधियों पहले जैसी रफ्तार से ही चलने लगीं। हालांकि कोरोना कफ्ूर्य में निर्माण कार्यों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था। बरसात समाप्त होने के बाद कटनी जिले ही नहीं वरन सभी जगह शासकीय एवं प्राइवेट निर्माण कार्य तेजी से शुरू हुए। इन निर्माण कार्यों में लोहा, सीमेंट, गिट्टी के साथ रेत भी उतनी ही महत्वपूर्ण सामग्री है। लिहाजा यह तो तय है कि रेत की डिमांड दिनों दिन बढ़ रही है पर आंकड़ों में सप्लाई घटती जा रही है।
एक माह में ही 30 फीसदी का अंतर
मानसून सीजन समाप्त होने के बाद रेत का खनन और सप्लाई तो बढ़ी पर ई-टीपी की संख्या घटती गई। यह बात हम नहीं कह रहे वरन खनिज विभाग के आंकड़े ही ठेका कंपनी की कारगुजारी उजागर कर रहे हैं। मानसून सीजन के ठीक बाद जहां अक्टूबर में 5334 ई-टीपी जारी हुईं वहीं नम्बर में घटकर 3765 रह गईं। एक माह के भीतर ही लगभग 30 फीसदी (1569 ई-टीपी) का अंतर आ गया। जबकि इस दौरान शासकीय एवं प्राइवेट निर्माण् कार्य पूरी रफ्तार से चलते रहे है। इस डिफरेंस ने जिम्मेदारों को भी हैरान कर दिया अगले माह दिसम्बर में कुछ सुधार हुआ। दिसम्बर में 4174 ई-टीपी जारी हुईं फिर भी यह अक्टूबर से 1160 कम थीं।

Created On :   3 Feb 2022 2:55 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story