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फायर और इलेक्ट्रिक ऑडिट नहीं कराने वाले अस्पतालों को अभयदान
डिजिटल डेस्क,कटनी। जिला मुख्यालय के 10 निजी अस्पतालों में फायर और इलेक्ट्रिक ऑडिट के मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी मेहरबानी सामने आई है। 17 सितम्बर को नोटिस जारी करते हुए इन अस्पतालों में मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद नर्सिंग होम संचालक क्षेत्रीय विधायक के साथ सीएम से मिलकर अपनी बातें रखी थी। भोपाल से लौटने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से भी मिला था। कलेक्टर ने एक माह का समय देते हुए कहा था कि आवश्यक मापदण्ड की पूर्ति समय पर करें।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मौखिक रुप से यह आदेश दिए थे कि समय-सीमा बीतने के बाद भी यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो कार्यवाही की जाएगी, लेकिन मामला शांत होने के बाद फिर से स्वास्थ्य विभाग के अफसर चुप्पी साध लिए हैं। जिसके चलते खतरों के बीच अस्पताल संचालक मरीजों को भर्ती कर इलाज कर रहे हैं नहीं हो रहा नियमों का पालन अधिकांश अस्पतालों में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। जबलपुर की घटना के बाद निर्धारित दस्तावेज जमा नहीं करने पर करीब 20 अस्पतालों को फायर एनओसी के लिए नोटिस दिया गया था। इसके बाद प्रशासन ने टीम बनाते हुए अस्पतालों की जांच भी कराई थी। जिसमें अस्पतालों में कई तरह की कमियां पाई गई थीं। उस समय निर्धारित मापदण्डों का पालन नहीं करने वाले कुछ अस्पतालों में मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई गई, फिर बाद में भी इस सूची में अन्य अस्पतालों के नाम को जोड़ते हुए यहां पर भी मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई थी।
कार्यवाही के नाम पर चुप्पी
समय-सीमा के बाद स्वास्थ्य विभाग की यह जिम्मेदारी रही कि दस अस्पतालों में दोबारा से भौतिक सत्यापन किया जाना था। प्रशासन के साथ निजी नर्सिंग होम एसोसिएशन की बैठक 22 सितम्बर को हुई थी। इस हिसाब से एक माह का समय 22 अक्टूबर को बीत चुका है, लेकिन एक सप्ताह बाद भी अफसर इस मामले को लेकर अंजान बने हुए हैं। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में यह चर्चा है कि जिम्मेदार जान-बूझकर उक्त मामले में टाल-मटोल कर रहे हैं।
Created On :   31 Oct 2022 2:40 PM IST