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पंप की गुणवत्ता से इंजीनियरों का इंकार, शिक्षकों पर दी जिम्मेदारी
डिजिटल डेस्क कटनी। जलजीवन मिशन में 203 करोड़ रुपए को ठिकाना लगाने के लिए अब स्कूलों और आंगनबाड़ी भवनों में सम्मर्शिबल पम्प के नाम से नया खेल शुरु हो गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग उन जगहों पर भी यह पम्प लगा रहा है, जहां पर गर्मी के समय पानी का स्तर भू-तल पर पहुंच जाता है। सबसे अचरच की बात यह है कि पीएचई शिक्षा विभाग को इससे दूर रखा हुआ है। यहां तक की स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यों को भी यह पता नहीं है कि उनके विद्यालयों में पेयजल व्यवस्था के नाम पर पीएचई विभाग कितने रुपए खर्च कर रहा है। जिसके बाद कमीशन की भी चर्चा मैदान में सुनाई दे रही है। दरअसल जिले में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 1 हजार 817 है। इसमें करीब 317 स्कूलें ऐसी हैं, जहां पर बिजली व्यवस्था ही नहीं है। ठेकेदार के माध्यम से ऐसे स्कूलों को भी चिन्हित किया गया है।
प्रधानाध्यापकों पर एक्स्ट्रा दवाब
मौके पर जो पम्प लगाया जा रहा है। वह निर्धारित मापदण्ड के अनुरुप है या फिर ब्रांडेड कंपनी के नाम पर लोकल कंपनी का पम्प लगाया जा रहा है। इसके सत्यापन की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों को ही दी गई है। पीएचई विभाग के जुड़े सूत्रों का कहना है कि नियमों के मुताबिक तो कार्य का सत्यापन विभाग के उपयंत्रियों को प्रधानाध्यापक के साथ संयुक्त रुप से करना चाहिए, लेकिन उपयंत्री अपना कलम बचने के लिए शिक्षकों के नान टेक्निकल कंधों का उपयोग कर रहे हैं। जिसमें पम्प डीलर हस्तांतरण प्रमाण पत्र लेकर शिक्षकों के पास पहुंचता है और काम करने के बाद इस पत्र में उन्हें दस्तख्त करने की बात कहता है।
चहेते दुकानदार को कर रहे उपकृत
विजयराघवगढ़ में एसडीओ की पद पर पदस्थ रहे अधिकारी का मोह यहां के चहेते सप्लायरों से नहीं छूट पा रहा है। जिसके चलते पम्प लगाने का काम उन दुकानदारों को दिया गया है। जिनकी पहचान अफसर के साथ पुरानी है। नियमों के मुताबिक जैसे अन्य कार्य ठेकेदारों के माध्यम से ही कराया जा रहा है। सामग्री के लिए पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। ऐसे में पम्प का यह अलग खेल समझ से परे है।
शिकायत पर नहीं हो रही जांच
यह पहली शिकायत नहीं है, जब इस तरह का खेल सामने आया हो। इसके पहले भी उमरियापान क्षेत्र में जलजीवन मिशन के तहत गुणवत्ताविहीन कार्य कराने की शिकायत कलेक्टर के पास पहुंच चुकी है। इसके बावजूद पीएचई विभाग के अफसर ठेकेदार को अभयदान देने में लगे हैं। जिसके चलते सरकार की अच्छी मंशा परही विभाग के अफसर पानी फेर रहे हैं।
इनका कहना है
अभी बहुत सी बात नहीं बताई जा सकती। सत्यापन करने का काम विभाग के इंजीनियर का ही है। सत्यापन के बाद ही हस्तांतरण की प्रक्रिया होती है। नियमों के तहत ही काम कराया जा रहा है।
Created On :   3 Feb 2022 3:04 PM IST