सहकारी समितियों ने दबाए 18 करोड़, किसानों को नहीं मिल रही खाद

Cooperative societies 18 crores, farmers not getting fertilizer
सहकारी समितियों ने दबाए 18 करोड़, किसानों को नहीं मिल रही खाद
सहकारी समितियों ने दबाए 18 करोड़, किसानों को नहीं मिल रही खाद

डिजिटल डेस्क, कटनी। खाद से मार्कफेड के गोदाम भरे हैं, लेकिन किसानों को समय पर नहीं मिल पा रही है। किसान खाद के लिए सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे पर उन्हे बैरंग लौटना पड़ रहा है। सोसायटियों में किसानों को  स्टाक न होने का जवाब दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार जिले में यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद का स्टाक तो भरपूर है पर सहकारी समितियों ने मार्कफेड को पुरानी देनदारी लगभग 18 करोड़ रुपये नहीं दी है, जिससे अब सोसायटियों को केवल नगद या डिमांड ड्राफ्ट देने पर ही खाद की सप्लाई की जा रही है। सहकारी समितियां नगद या डीडी देने में आनाकानी कर रही हैं, जिससे खाद का कृत्रिम संकट उत्पन्न हो गया है। जिले की ज्यादातर सहकारी समितियों में यूरिया और डीएपी खाद नहीं है।

पहले के 12 करोड़ दिए नहीं, पांच करोड़ नई उधारी

मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित कटनी को 31 मार्च 2018 की स्थिति में पूर्व में सप्लाई की गई खाद की राशि 20 करोड़, 28 लाख रुपये सहकारी समितियों से लेना थी। इसमें से अप्रेल से जुलाई तक सात करोड़, 65 लाख रुपये की राशि तो दी लेकिन  इसी बीच पांच करोड़, 23 लाख की खाद और ले ली। पिछली राशि 12 करोड़ 63 लाख एवं इस सत्र की रकम पांच करोड़ 23 लाख सहित देनदारी 17 करोड़, 86 लाख रुपये में पहुंच गई।

55 में से 15 समितियों ने डीडी भी नहीं दिए

मार्कफेड ने एक मार्च से 30 मई तक जिले की सभी 55 सहकारी समितियों के चेक पर दो करोडृ 95 लाख रुपये की खाद  दी। पांच जून तक चेक की राशि का डीडी डिमांड ड्राफ्ट देना था लेकिन 15 समितियों ने  डीडी ही नहीं दिया। जिन समितियों ने डीडी दिए भी, वे जिला सहकारी बैंक जबलपुर से क्लियर नहीं हुए।

खाद की मेट्रिक टन में स्थिति
उर्वरक-       उपलब्धता-  विक्रय-  बचत

यूरिया-        4558    -2348- 2210
डीएपी-       3753     - 2025-1728
सुपर फास्फेट-275      -  206   - 69
क्या कहते हैं किसान-
सहकारी समिति बड़वारा में खाद लेने आए पूरन चौधरी, लखाखेरा निवासी रामविशाल, बड़वारा निवासी मुन्नी बाई, बड़वाटोला निवासी ओंकार पटेल के अनुसार 15 दिन से यूरिया, डीएपी के लिए भटक रहे हैं। आजकल कहकर टरकाया जा रहा है। कैलवारा के कोदूलाल साहू को खाद के लिए मार्कफेड के गोदाम तक आना पड़ा, उनका कहना था कि कैलवारा सोसायटी में डीएपी नहीं है। पडख़ुरी के धनीराम पटेल को भी डीएपी, यूरिया के लिए कटनी तक दौड़ लगाना पड़ी।
इनका कहना है-
यूरिया, डीएपी सहित अन्य उर्वरक की कमी नहीं है। शासन से आवंटित यूरिया एवं डीएपी 50 प्रतिशत सहकारी समितियों एवं 50 प्रतिशत लायसेंसी व्यापारियों को देने का नियम है। सहकारी समितियों से डिमांड ड्राफ्ट लेकर खाद दी जा रही है। किसान डबल लॉक से भी नगद राशि देकर खाद ले सकते हैं।
संजय गीते जिला प्रबंधक मार्कफेड

Created On :   17 July 2019 9:50 PM IST

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