सूखे के आसार,औसत से 50 फीसदी बारिश भी नहीं

Chances of drought, not even 50 percent of the average rain
सूखे के आसार,औसत से 50 फीसदी बारिश भी नहीं
खेतों की नहीं बुझी प्यास सूखे के आसार,औसत से 50 फीसदी बारिश भी नहीं

डिजिटल डेस्क,कटनी। मानसून सीजन में जुलाई और अगस्त में कम बारिश होने से सूखे के आसार निर्मित होते हैं। चालू सीजन में 43 दिनों में औसत से 50 फीसदी भी पानी नहीं गिरा है। 11 अगस्त की स्थिति में अभी तक 360 मिमी बारिश हुई है। वर्षा काल का मौसम सितम्बर तक ही रहता है, ऐसे में बचे हुए डेढ़ माह से किसान और आमजन झमाझम पानी गिरने की उम्मीद संजोते हुए आसमान की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं। पिछले 11 वर्षों में इसी तरह की स्थिति 2015-16 में बनी थी, जब 1124.4 औसत बारिश की अपेक्षा 653 मिलीमीटर बारिश से ही लोगों को संतोष करना पड़ा था। शहर के साथ ग्रामीण अंचलों में खण्ड बारिश से अन्नदाताओं की चिंता बढ़ी है। पांच दिन से आसमान में बारिश के घने बादल जरुर उमड़ रहे हैं, लेकिन रिमझिम बारिश से खेतों की प्यास नहीं बुझी है, तो जलस्रोतों में भी तलहटी तक पानी है।
सात वर्षों में हुई बारिश

क्र.    वर्ष         औसत बारिश

1.    2015-16       653.4
२.    2016-17      1364
3.    2017-18      966.4
4.    2018-19      1061.4
5.    2019-20     1265.4
6.    2020-21     922.2
7.    2021-22     786.6

4 माह ही महत्वपूर्ण, अगस्त तक होती है अच्छी बारिश

वर्षा काल का सीजन 1 जून से प्रारंभ होकर 30 मई तक चलता है। प्रशासन इसी आंकड़े के आधार पर चलता है, लेकिन किसानों के लिए जून से लेकर सितम्बर तक ही सबसे महत्वपूर्ण कहलाता है। पिछले 6 वर्षों की तुलना करें तो पाते हैं कि पिछले वर्ष छोडक़र अन्य वर्षों में सामान्य बारिश के आंकड़े की अपेक्षा चार माह में करीब 70 से 80 फीसदी बारिश हो चुकी थी। वर्ष 2019 में तो जून से लेकर सितम्बर तक की बारिश सामान्य का आंकड़ा पार करते हुए 1144 मिलीमीटर पर पहुंच गया था। इस वर्ष सबसे अधिक 1265.4 मिमी बारिश हुई थी।

अगस्त से भी टूट रही आस, झमाझम का इंतजार

अगस्त झमाझम बारिश के लिए जाना जाता है। इस बार जुलाई के बाद अगस्त के पहले पखवाड़े ने किसानों को निराश ही किया। 11 दिनों में महज 60 मिमी बारिश हुई है। यह स्थिति तब है, जब सावन माह भी बीतने की कगार पर है। जून और जुलाई तक जिले में 312 मिमी बारिश हो चुकी थी। जून ने तो किसी तरह से निराश नहीं किया, लेकिन जुलाई का पूरे माह रिमझिम में ही बीता। खेतों में पर्याप्त पानी नहीं होने से बोवाई पिछड़ती जा रही है। कई जगहों पर धान की नर्सरी का रोपण भी नहीं हो सका है। जिसके चलते किसान परेशान हैं।

जन-जीवन पर असर, पेयजल पर भी संकट

बारिश कम होने से इसका असर जनजीवन पर भी दिखाई दे रहा है। बैराज में पर्याप्त पानी नहीं होने से अभी भी एक-एक दिन के अंतराल में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था चल रही है तो कई जगहों पर टैंकरों के माध्यम से भी पानी पहुंचाया जा रहा है। जिन जगहों पर रोजाना पानी दी जाती है। वहां पर नल इतने कम समय के लिए आते हैं कि वार्डवासी और पेयजल आपूर्ति करने वाले कर्मचारी के बीच रोजाना पानी को लेकर तकरार होती रहती है। 2 लाख हेक्टेयर में इस बार खरीफ की बोवनी का लक्ष्य रखा गया था। इसके बावजूद अभी भी 30 फीसदी खेत खाली पड़े हुए हैं। कृषि विभाग के उपसंचालक एके राठौर बताते हैं कि इस बार अपेक्षाकृत कम बारिश होने से इसका असर फसलों के उपज पर पड़ेगा।

बायपास से गुजरा सिस्टम: मानसून विशेषज्ञ

कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ.संदीप कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि प्रदेश के अन्य जिलों की तरह यहां पर भी भारी बारिश के आसार जरुर बने थे, लेकिन वह सिस्टम बायपास करते हुए गुजर गया। ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी क्षेत्र में तो एक ही दिन में 100 मिमी बारिश हुई, लेकिन अन्य क्षेत्रों में रिमझिम बारिश हुई। मानसून टर्फ भी रायसेन की तरफ चला गया है। मानसून के कमजोर होने से अब तेज बारिश की संभावना नहीं है। इसके बाद भी यदि बारिश होती है तो इसका फायदा किसानों को कम ही मिलेगा।
 

Created On :   12 Aug 2022 10:01 AM GMT

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