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श्रमिकों के शोषण पर कोल वॉशरी के संचालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज
-श्रम विभाग के परिवाद पत्र पर श्रम न्यायालय ने मामला दर्ज करते हुये कोर्ट में संचालक को किया तलब
डिजिटल डेस्क सिंगरौली(वैढऩ)। गोरबी चौकी के नौढिय़ा में स्थिति महावीर कोल वॉशरी प्लांट में भयावह प्रदूषण के बीच कार्य लिये जाने के बाद भी श्रमिकों का शोषण पर संचालक अनुराग जैन को महंगा पड़ गया है। श्रम विभाग की शिकायत पर श्रम न्यायालय ने कोल वॉशरी के संचालक पर न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत प्रकरण दर्ज किया है। कोर्ट ने श्रम विभाग के परिवाद पत्र पर संज्ञान लेते हुये कोर्ट ने संचालक को न्यायालय में तलब किया है। मामले में आरोप है कि प्लांट के संचालक द्वारा श्रमिकों से 12 घंटे काम लिये जाने के बाद भी उन्हें सुविधाएं नहीं दी जा रही थी। इसके खिलाफ श्रमिकों ने श्रम विभाग में शिकायत की थी।
80 लाख की क्षतिपूर्ति दिलाने केस दायर
श्रम विभाग ने श्रमिकों को प्रबंधन से 80 लाख की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के लिये दायर किया है। आरोप है कि कोल वॉशरी के संचालक द्वारा श्रमिकों से ओवर टाइम काम लिये जाने के बाद भी निर्धारित मजदूरी नहीं दी जा रही है। इसके साथ ही श्रमिकों को सवैतनिक अवकाश नहीं दिया जा रहा है। आरोप है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों को सुरक्षात्मक उपकरण तक नहीं दिये गये है। श्रम विभाग की टीम ने जांच में प्रबंधन की घोर लापरवाही पाये जाने के बाद यह मामला न्यायालय में पेश किया है।
जांच में सामने आया प्रबंधन की मनमानी का सच
यह मामला अगस्त 2020 का है। कोल वॉशरी में कार्यरत 5 श्रमिकों ने यूनियन के माध्यम से श्रम न्यायालय में शिकायत प्रस्तुत कर प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाये थे। श्रमिकों के आरोपों की टीम ने जांच की तो 25 श्रमिक प्रबंधन की मनमानी का शिकार पाये गये। इसके चलते श्रम विभाग ने संचालक श्री जैन के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जवाब-तलब किया था। बताया जाता है कि संचालक द्वारा समाधानकारक जवाब और श्रमिकों को क्षतिपूॢत नहीं दिये जाने पर श्रम विभाग ने कार्रवाई के लिये मामला श्रम न्यायालय में प्रस्तुत किया है। जानकारों का कहना है कि श्रम विभाग की जांच में बड़े पैमाने पर अनियमितिता पाई गई थी।
श्रमिकों को आवास तक नसीब नहीं
श्रम विभाग की जांच से यह बात सामने आई है कि सुविधा के नाम पर कोल वॉशरी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। आरोप है कि कोल के खतरनाक प्रदूषण के बीच कार्य करने के बाद भी श्रमिकों को प्रबंधन द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान नहीं की जा रही है। श्रमिकों को न तो मकान उपलब्ध कराया गया है और न मूलभूत सुविधाएं। ऐसे में श्रमिक प्रदूषण बीच प्रबंधन की मनमानी का दंश झेलने के लिये मजबूर हैं।
Created On :   5 Aug 2021 5:41 PM IST