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500 करोड़ के हवाला मामले में सतीश सरावगी के विरुद्ध डीजे कोर्ट में चलेगा केस
डिजिटल डेस्क, कटनी। कटनी के कारोबारी सतीश सरावगी को जिला एवं सत्र न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। न्यायालय ने सतीश सरावगी द्वारा धारा 227 के तहत प्रस्तुत आवेदन निरस्त कर दिया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए.के.पालीवाल ने उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों के परिप्रेक्ष्य में प्रकरण में विचारणीय बिन्दुओं का निराकरण करते हुए दो दिन तक चली चार घंटे की बहस के बाद 49 पेज के फैसले ले किया है कि आरोपी सतीश सरावगी के विरुद्ध धारा 120 बी, 420, 465, 467, 468, 471, 210 भादसं के अंतर्गत आरोप विरचित करने के लिए पर्याप्त आधार एवं सामग्री है और उपरोक्त संबंध में आरोपी सतीश सरावगी की विनिर्दिष्ट भूमिका दर्शित करने वाले साक्ष्य अभिलेख पर्याप्त हैं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने 500 करोड़ रुपये के कथित हवाला कांड का पर्दाफाश किया था। जिसमें पुलिस ने सतीश सरावगी सहित अन्य को आरोपी बनाते जिला एवं सत्र न्यायालय में अभियोग पत्र दाखिल किया था।
उच्च न्यायालय में रिवीजन किया था
अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक रजनीश सोनी ने तर्क रखते हुए दलील दी कि आरोपी सतीश सरावगी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं। जिला एवं सत्र न्यायालय ने 22/8/2017 को आरोपी सतीश सरावगी के विरुद्ध धारा 467, 468, 471, 120 बी, 34, 423, 424, 35 भादवि के आरोप तय किए थे। जिला एवं सत्र न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सतीश सरावगी ने उच्च न्यायालय में रिवीजन किया था। हाईकोर्ट ने 29/11/2018 को विचारण न्यायालय द्वारा लगाए गए आरोपों को निरस्त कर डीजे न्यायालय को आदेशित किया था कि अभियोजन को सुनने के बाद पुन: आदेश पारित करें। हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन की एसएलपी निरस्त करहाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा था और यह आदेशित किया था कि आरोप पर आदेश पारित करते समय कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
एसपी के तबादले से सड़कों पर उतर आए थे लोग
कटनी का हवाला कांड पूरे प्रदेश में चर्चित हो गया था। हवाला कांड का खुलासा होने पर राजनीतिक दबाव में पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी का छह माह के भीतर स्थानांतरण होने से लोग सड़कों पर उतर आए थे और प्रदेश की तत्कालीन सरकार का जमकर विरोध किया था। पांच सौ करोड़ के हवाला कांड में जब्त दस्तावेजों में पुलिस के हाथ ऐसे साक्ष्य लगे थे कि मजदूरी करने वालों के नाम पर करोड़ों का लेन-देन हो गया था। तब यह प्रदेश का सबसे बड़ा हवाला कांड माना गया था।
Created On :   25 May 2019 1:24 PM IST