आशियाना के लिए हितग्राहियों को करना होगा लम्बा इंतजार

Beneficiaries will have to wait a long time for the shelter
आशियाना के लिए हितग्राहियों को करना होगा लम्बा इंतजार
6 साल में पूरे नहीं हुए 465 करोड़ के काम आशियाना के लिए हितग्राहियों को करना होगा लम्बा इंतजार

डिजिटल डेस्क,कटनी। कटनी को नगर निगम का दर्जा मिले ढाई दशक हो चुके हैं। इन 25 वर्षों में शहर को मॉडल और स्मार्ट सिटी बनाने के वादे तो बहुत हुए पर वादों को साकार करने की ठोस पहल नहीं की गई। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि वादों के अनुसार काम शुरू नहीं हुए। कुछ बड़े प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री आवास,सीवरेज, पाइप लाइन विस्तार के काम तो शुरू हुए लेकिन पंच वर्षीय कार्यकाल बीतने के बाद भी पूरे नहीं हो पाए। पिछली परिषद में 465 करोड़, 21 लाख रुपये के बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए थे। इनमें से एक भी प्रोजेक्ट अब तक पूर्ण नहीं हो पाया। नगर निगम के पास इस चुनाव में उपलब्धियां बताने के लिए ऑडीटोरियम, मिशन चौक ओवर ब्रिज, तीन पार्क के अलावा कुछ खास नहीं है। लोगों से सीधे जुड़ी पीएम आवास, पेयजल, सीवरेज, सिटी बस की योजनाएं आधी अधूरी पड़ी हैं।

यह हैं प्रगतिरत कार्य-

योजना              राशि
पीएम आवास     323 करोड़
सीवरेज             198 करोड़

पाइप लाइन विस्तार-

टंकी निर्माण       24 करोड़
इंटरसिटी, इन्ट्रासिटी बसे - 10 करोड़
सडक़ चौड़ीकरण - 12 करोड़

यह है पंच वर्षीय प्लान-

तिलक राष्ट्रीय स्कूल के पीछे पार्क एवं सौंदर्यीकरण - 3.72 करोड़
अमीरगंज तालाब का उन्नयीकरण - 3.00 करोड़
रिवर फ्रंरट योजना - 23.00 करोड़
पीरबाबा से चाका तक सडक़ चौड़ीकरण - 36.00 करोड़
मिशन चौक से कचहरी तक व्हीआईपी रोड सौंदर्यीकरण - 0.78 करोड़
कृषि उपज मंडी के सामने तालाब का सौंदर्यीकरण - 2.00 करोड़
कटाएघाट रोड में दुगाड़ी नाला पुलिया चौड़ीकरण - 2.80 करोड़
खिरहनी ओवर ब्रिज के दोनों ओर सडक़ चौड़ीकरण - 2.00 करोड़
कुठला थाना होते हुए तिलियापार बायपास रोड निर्माण - 6.00 करोड़
झिंझरी में नवीन बस स्टैंड - 5.18 करोड़
पुरानी कचहरी में मल्टी लेबल पार्किंग - 10 करोड़
साधूराम एवं बजान स्कूल में पार्किंग - 8.00 करोड़
योजना क्रमांक 6 में व्यवसायिक परिसर का निर्माण - 3.00 करोड़
रेलवे स्टेशन के पास सरांय में व्यवसायिक परिसर-पार्किंग - 50 करोड़
पार्किंग एवं चौपाटी निर्माण - 10 करोड़
अमकुही पहाड़ी में नया अस्पताल - 50.00 करोड़

पांच साल में 6708 में से 2667 ही बने आवास

अपने घर का आशियाना के सपना संजोए लोगों को बीते पांच सालों से इंतजार करना पड़ा रहा है। जिस योजना के भरोसे चुनावी जंग जीतने के दावे किए जा रहे हैं उसकी स्थिति ऐसी है कि अब तक 6808 में से 2667 ही प्रधानमंत्री आवास बन पाए हैं। अभी तक 49 फीसदी ही काम हो पाया है। बहुमंजिला प्रधानमंत्री आवासों का भी यही हाल है, झिंझरी के प्रोजेक्ट का काम ठेकेदार ने बंद दिया वहीं तो वहीं प्रेमनगर में भी मंथरगति से काम चल रहा है। प्रेमनगर एनकेजे में 1744 फ्लैट बनने थे, बजट के अभाव में 336 निरस्त हो गए थे। अब 108 फ्लेट बन रहे हैं।

लगभग 400 फ्लेटों का आवंटन भी हो गया है। जून 2022 तक एएचपी घटक के सभी फ्लेट बनाकर देने हैं,  लेकिन अभी भी काम धीमी गति से चल रहा है। झिंझरी में 1512 आवासों का निर्माण होना था। 113. 05 करोड़ रुपये की टेंडर लागत व एग्रीमेंट लागत 117.46 करोड़ रुपये तय की गई थी। 30 नवंबर 2017 से 18 माह में काम पूरा करना था। 30 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ। ठेकेदार ने दो साल से काम बंद किया हुआ है पर नगर निगम ने अब तक ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने की कोई कार्रवाई नहीं की है। सीवर लाइन पर लगा ब्रेक एक हादसे के बाद सीवरलाइन के काम में ब्रेक लग चुका है। 108 करोड़ रुपये के सीवरेज योजना का कार्य केके स्पन कंपनी को सौंपा गया था। इसका वर्कआर्डर फरवरी 2017 में  हुआ था और

यह कार्य 2019 तक पूर्ण होना था।

विवादित स्थितियों के कारण समय सीमा बढ़ाकर मार्च 22 तक का समय दिया गया था। इसी बीच 26 सितंबर 2021 को कुठला थाना क्षेत्र के पन्ना नाका के पहले बन रहे सीवर लाइन ट्रीटमेंट प्लांट के गड्ढे में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई थी। तब 25 मई 2022 को केके स्पन कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया है। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार शेष बचे कार्य के लिए फिर से टेंडर की प्रक्रिया होगी। 35 करोड़ रुपये के लगभग ठेकेदार को भुगतान भी किया जा चुका है।  सीवर लाइन योजना का 34 प्रतिशत ही काम हुआ है और भुगतान 38 प्रतिशत कर दिया गया।  पूरे शहर में 219 किलोमीटर की सीवर लाइन डालकर तीन एसटीपी बनाते हुए शहर का ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना था। अबतक महज 104 किलोमीटर ही लाइन पड़ी है। 9 हजार 140 हाउस चेम्बर बनाई जाएने थे, अभी तक महत 3553 ही बन पाए हैं।

सूखी पड़ी पाइप लाइनें,टंकियां

पाइप लाइन एवं टैंक निर्माण के लिए मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना में पिछले पांच सालों में 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए। शहर की टंकियां भरने के लिए कटाएघाट के बैराज और तीन खदानें ही हैं। साढ़े छह साल पहले बरगी परियोजना की नहर से नर्मदा जल कटनी नदी तक लाने के वादे किए गए थे पर वह अब तक पूरा नहीं हो सका। इसी वादे के अनुसार 24 घंटे पानी देने जलकर की राशि तीन गुना बढ़ा दी गई। बीते दो सालों से बारिश काम होने से दिसम्बर से ही पेयजल की कटौती शुरू कर दी जाती है और एक दिन के अंतर से सप्लाई दी जाती है। कहीं लोगों को सप्ताह में दो दिन तो कहीं हफ्ते में एक बार भी पानी मिल जाएगा तो यह वहां के लोगों को सौभाग्य होता है। गंभीर संकट वाले वार्डों में टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति होती है। शहर में 20838 नल कनेक्शन हैं।
 

Created On :   30 Jun 2022 6:12 PM IST

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