आगरा: प्रदीप गुप्ता के अलावा तीन और आरोपी गिरफ्तार, ये थी बस हाईजैक के पीछे की असली कहानी

Agra bus hijack main accused arrested Loan Recovery Dispute over money Story behind hijacking Gurugram Madhya Pradesh
आगरा: प्रदीप गुप्ता के अलावा तीन और आरोपी गिरफ्तार, ये थी बस हाईजैक के पीछे की असली कहानी
आगरा: प्रदीप गुप्ता के अलावा तीन और आरोपी गिरफ्तार, ये थी बस हाईजैक के पीछे की असली कहानी

डिजिटल डेस्क, आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में बस हाईजैक के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी और तीन अन्य को गिरफ्तार किया है। हालांकि पहले इस घटना की वजह बस की लोन रिकवरी बताई जा रही थी, लेकिन असली कहानी ने मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद नया मोड़ लिया है। बस के अपहरण का कारण ईएमआई भुगतान में देरी नहीं बल्कि पैसों के लेन-देन का विवाद था। बता दें कि गुरुवार तड़के आगरा में न्यू दक्षिणी बाइपास से जा रही प्राइवेट बस को बदमाशों ने अगवा कर लिया था। बदमाश बस में बैठी 34 सवारियों को भी अपने साथ ले गये थे। बस और कंडक्टर को बस से उतार कर रास्ते में ही छोड़ दिया था, जबिक मुसाफिरों को झांसी में सुरक्षित उतारा। 

आगरा पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही मामले की गुत्थी सुलझा ली थी। पुलिस ने आरोपी प्रदीप गुप्ता को आगरा के फतेहाबाद इलाके में एक मुठभेड़ के बाद हिरासत में लिया। मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लगी थी। आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), बबलू कुमार के अनुसार, बस के अपहरण का कारण ईएमआई भुगतान में देरी नहीं बल्कि पैसों के लेन-देन का विवाद था। बस के मालिक का अधिकार ग्वालियर के पवन अरोड़ा के पास था।

ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदीप गुप्ता का पवन अरोड़ा के पिता अशोक अरोड़ा के साथ पैसे को लेकर विवाद चल रहा था। अशोक अरोड़ा की मंगलवार को कोविड -19 की वजह से मौत हो गई और आरोपी प्रदीप गुप्ता ने अरोड़ा से बकाया धन पाने के लिए बस को हाईजैक कर लिया।

शुरुआती जांच के बाद सरकार के प्रवक्ता ने कहा था, श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने लोन की किस्तों का भुगतान नहीं करने के कारण 34 यात्रियों के साथ बस को कब्जे में ले लिया था। जिला अधिकारी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि इस घटना से जुड़ी कुछ गलत जानकारी दी गई थी।

इसी बीच श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने भी एक बयान जारी कर कहा कि, वाहन हमारे द्वारा या हमारे किसी भी प्रतिनिधि द्वारा जब्त नहीं किया गया है। कंपनी का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। हमारी ग्वालियर ब्रांच से इस वाहन के लिए लिया गया कर्ज 2018 में ही निपट चुका है। 

आगरा एसएसपी ने कहा, प्रदीप गुप्ता की पहचान टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई थी, क्योंकि उसने ही बस के अपहरण कांड का नेतृत्व किया था। अशोक अरोड़ा के परिजनों ने टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से प्रदीप गुप्ता की पहचान की। वह कथित अपहरणकतार्ओं द्वारा इस्तेमाल की गई एसयूवी कार में था।

पूछताछ के दौरान आरोपी गुप्ता ने पुलिस को बताया, उसका अशोक अरोड़ा और उनके परिवार के साथ 2012 से व्यापारिक संबंध थे। उसने कहा, अरोड़ा ने बसों के पंजीकरण और परमिट के लिए उससे 67 लाख रुपये लिए थे। इस राशि की व्यवस्था उसने इटावा से की थी और बार-बार याद दिलाने के बावजूद पैसे वापस नहीं कर रहे थे। यही रकम वसूलने के लिए उसने बस के अपहरण की योजना बनाई।

Created On :   21 Aug 2020 1:40 PM IST

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