हर वर्ष सफाई के नाम पर 2 करोड़ रुपए होते हैं खर्च,शहर स्वच्छता में पिछड़ा

2 crore rupees are spent every year in the name of cleanliness, the city is backward in cleanliness
हर वर्ष सफाई के नाम पर 2 करोड़ रुपए होते हैं खर्च,शहर स्वच्छता में पिछड़ा
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में सात साल से बजट साफ हर वर्ष सफाई के नाम पर 2 करोड़ रुपए होते हैं खर्च,शहर स्वच्छता में पिछड़ा

डिजिटल डेस्क,कटनी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में सात साल पहले डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य शुरू हुआ था। इस कचरा से खाद बनाने 35 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट भी लगाया गया है। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में हर साल करीब दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो रहे हैं। नगर निगम ने कचरा कलेक्शन की दर 1600 रुपये से बढ़ाकर 2200 रुपये कर दी पर एमएसडब्ल्यू से अनुबंध की शर्तों का पालन कराने की जरुरत नहीं समझी।

साल भर में जुटा पाए 89 लाख

प्लान लागू होने के साथ ही शासन ने स्पष्ट कर दिया था कि अगले पांच साल में अनुदान समाप्त कर दिया जाएगा। इस योजना के संचालन के लिए दो साल से अनुदान मिलना बंद हो गया। नगर निगम को इसमें व्यय होने वाली राशि नगर निगम को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रभार से जुटाना होगी। नगर निगम को 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रभार का टारगेट 141 लाख रुपये था, इसमें से नगर निगम केवल 89 लाख रुपये ही वसूल कर पाया। जबकि पिछले बकाया 177 लाख रुपये में नगर निगम को धेला भी नहीं मिला। इस तरह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रभार का नगर निगम को 230 लाख रुपये वसूल किया जाना है।

खटारा हो रहे कचरा वाहन

अनुबंध की शर्तों के अनुसार प्रत्येक वार्ड के लिए एक-एक एवं पांच कचरा वाहन स्टैंड बाई होना चाहिए। ताकि किसी वाहन के ब्रेक डाउन होने पर कचरा संग्रहण प्रभावित नहीं हो। यहां 45 वार्डों के लिए 40 वाहन हैं उनमें से 10 बिगड़े पड़े हैं। जो चल रहे हैं वे भी खटारा होते जा रहे हैं। नियमानुसार सात साल बाद एजेंसी को नए वाहन लगाना है पर नगर निगम के जिम्मेदारों ने अब तक इसकी चिंता नहीं की। यही कारण है कि आए दिन वार्डों से कचरा वाहन नहीं पहुंचने की शिकायतें सामने आती रहती हैं।

अनुमान से ज्यादा हो रही कचरा की तौल

डीपीआर के अनुसार तीन साल में औसत पांच टन कचरा प्रतिदिन बढऩे का अनुमान था। 2017 में शहर में 60 से 65 टन कचरा निकल रहा था। 2020 में 70 टन होना था और 2022-23 में 73 से 75 टन कचरा निकलने का अनुमान है। वहीं एमएसडब्लयू को 80 से 90 टन का भुगतान किया जा रहा है। वजन बढ़ाने कई बार कचरा वाहनों से मकानों का मलबा एवं ग्रामीण क्षेत्र मुरुम-पत्थर ढोने के मामले सामने आए थे लेकिन नगर निगम ने इस हेराफेरी पर लगाम कसने की जरुरत नहीं समझी।

नगर निगम अपनी ही दुकानों से नहीं वसूल रहा स्वच्छता कर नगर निगम द्वारा अपनी ही दुकानों को स्वच्छता कर से बाहर रखा है। शहर में नगर निगम की 1400 दुकानें है लेकिन इनके किराएदारों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शुल्क नहीं लिया जाता है। क्योंकि नगर निगम ने इन दुकानों को सम्पत्ति में शामिल नहीं किया है। नगर निगम के रिकार्ड में 45 हजार मकान/ दुकान दर्ज हैं। जिनसे सम्पत्तिकर वसूल किया जाता है। बताया जाता है कि एक ही परिसर में एक से अधिक दुकानें संचालित होती हैं तो उन्हे भी अलग-अलग इकाई न मानकर एक ही इकाई माना जाता है। शहर में इस समय फ्लैट भी बन रहे हैं, जिनमें अलग-अलग परिवार रहते हैं। कहीं-कहीं मल्टी में किराएदार निवास कर रहे हैं पर स्वच्छता कर के दायरे से बाहर हैं। जिसका असर नगर निगम की आय पर पड़ रहा है और निकाय निधि से एमएसडब्ल्यू को भुगतान कर शहर के विकास कार्यों को पलीता लगाया जा रहा है।

 

Created On :   12 Aug 2022 3:40 PM IST

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