शोध शिखर विज्ञान पर्व 2025: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के शोध शिखर विज्ञान पर्व 2025 में प्रमुख वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के शोध शिखर विज्ञान पर्व 2025 में प्रमुख वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और सहयोगी संस्थाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शोध और नवाचार सम्मेलन शोध शिखर 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। इस वर्ष इस कार्यशाला का विषय ‘विकसित भारत-नया भारत' है। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उपस्थित रहे। साथ ही विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. नम्रता पाठक, वैज्ञानिक-जी, एनजीपी और एसएमपी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (DST), डॉ. अरविन्द रानाडे, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अहमदाबाद, डॉ. अमिताभ मिश्रा, डीजेएम और हेड (बायो-फार्मा), राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की।

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शोध के लिए विचार प्रक्रिया और अनुसंधान में मातृभाषा को महत्व देना चाहिए: डॉ अतुल कोठारी

डॉ. अतुल कोठारी ने अपने उद्बोधन में शोध और शिक्षा के लिए मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुसार, जब शोधकर्ता अपनी मातृभाषा मेंa विचार करते हैं और लिखते हैं, तो वे अपने विचारों को अधिक स्पष्ट और सटीक रूप से व्यक्त कर पाते हैं, जिससे अनुसंधान का स्तर और प्रभाव बढ़ता है। डॉ. कोठारी ने यह भी कहा कि मातृभाषा को अनुसंधान की प्रक्रिया में शामिल करने से न केवल विचारों की स्पष्टता बढ़ती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि समाज के विभिन्न वर्गों तक शोध का प्रभाव पहुंचे। उनके मुताबिक, शोधकर्ताओं के लिए अपनी मातृभाषा में अनुसंधान करना और उसे साझा करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल व्यक्तिगत समझ को सशक्त बनाता है, बल्कि समाज में विज्ञान और ज्ञान के प्रसार को भी बढ़ावा देता है।

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विश्वविद्यालय ने नवाचार और शिक्षा में नए आयाम स्थापित किये : संतोष चौबे

कुलाधिपति संतोष चौबे ने उद्घाटन भाषण में विश्वविद्यालय की शैक्षिक और अनुसंधान क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश का पहला निजी विश्वविद्यालय है जिसने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। श्री चौबे ने कहा, “रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय न केवल शिक्षण में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह राज्य के विकास में भी सक्रिय भागीदार बन चुका है। प्रधानमंत्री कौशल केंद्र, अटल इंक्यूबेशन सेंटर और नवरत्न केंद्र जैसी पहलें इस बात का प्रमाण हैं कि विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां छात्रों को व्यावहारिक कौशल, नवाचार और सांस्कृतिक संवेदनाओं के क्षेत्र में भी उच्चतम स्तर की शिक्षा मिल रही है।"

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हम समाज के प्रवाह के साथ चलकर ही समाज को कुछ दे सकते हैं : डॉ. अमिताभ मिश्रा

डॉ. अमिताभ मिश्रा ने अपने उद्बोधन में बताया कि हिक्स कंपनी द्वारा विकसित एक नवाचारी थर्मामीटर जानकारी साझा की। इस थर्मामीटर का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी के लिए एक उपयोगी और तकनीकी दृष्टिकोण से प्रभावी समाधान प्रदान करना था। डॉ. मिश्रा ने इस थर्मामीटर के पीछे के विचार को साझा करते हुए कहा, हम समाज के प्रवाह के साथ चलकर ही समाज को कुछ दे सकते हैं। हिक्स कंपनी ने यह थर्मामीटर इस सोच के साथ विकसित किया था कि यह समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। ऐसे नवाचारों के माध्यम से हम न केवल तकनीकी क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं, बल्कि समाज के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।"

रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय का विजन 2047 की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान : अरविंद रानाडे

अरविंद रानाडे ने विजन 2047 के संदर्भ में सरकार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है और आने वाले वर्षों में यह विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों और समाज को सशक्त बनाने के लिए कई नई योजनाओं और पहलुओं पर काम कर रहा है।

राष्ट्र की उन्नति के लिए युवाओं को रिसर्च और इनोवेशन से जोड़ना होगा : डॉ. नम्रता पाठक

श्रीमती नम्रता पाठक ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विभाग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उनका मानना है कि वैज्ञानिकों को सहयोग प्रदान करके ही राष्ट्र की उन्नति संभव है। श्रीमती नम्रता पाठक ने कहा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह विभाग विभिन्न योजनाओं के माध्यम से युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित कर रहा है और उन्हें रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में अवसर प्रदान कर रहा है।" उन्होंने यह भी बताया कि DST के कई कार्यक्रम युवाओं को नवीनतम शोध, तकनीकी विकास और नवाचार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जो आने वाले समय में देश के लिए बेहद फायदेमंद साबित होंगे।

कार्यक्रम के अंत मे पत्रिका इलोक्ट्रानिकी आपके लिए और पुस्तक बिग कंट्री लिटिल बिज़नेस का विमोचन किया गया।

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फ्यूचर टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को ध्यान में रख स्टूडेंट्स ने पेश किए प्रोजेक्ट्स

शोध शिखर के अंतर्गत प्रोजेक्ट एग्जीबिशन में देशभर से प्रतिष्ठित महाविद्यालयों की टीम ने हिस्सा लिया। इसमें अधिकांश प्रोजेक्ट्स फ्यूचर टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर आधारित रहे। इनमें आरएनटीयू की ओर से इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट स्टूडेंट्स द्वारा “इलेक्ट्रीकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन फ्रॉम सोलर पैनल” को प्रस्तुत किया गया। कोल्हापुर की संजय गौड़ा यूनिवर्सिटी की टीम द्वारा “आईओटी इनेबल्ड वर्कफोर्स मैनेजमेंट” पर प्रोजेक्ट बनाया गया। मेहसाणा की गनपत यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स द्वारा “फेस मास्क क्यूब” को प्रदर्शित किया गया। डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी बिलासपुर द्वारा “आटोमेडेट मेंटल हेल्थ आईडेंटिफिकेशन सिस्टम” और “फ्यूचर सिटी- प्लानिंग विथ सस्टेनेबल डेवलपमेंट”, डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी, वैशाली बिहार द्वारा “सुपर फूड, मिरेकल फूड सप्लीमेंट्स”, एसजीटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम द्वारा “इंजायमेटिक क्लीनअप ऑफ एंटीबायोटिक डिटेक्टेड इन वेस्टवाटर” पर आधारित रहा।

Created On :   29 March 2025 1:28 PM IST

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