New GST Rules: क्या आपको पुरानी कार बेचने पर देना होगा 18% जीएसटी? जानिए जीएसटी के नए नियम और दूर करें असमंजस
- पुराने वाहनों की बिक्री पर 18 फीसदी टैक्स
- यह नियम सिर्फ रजिस्टर्ड यूनिट पर लागू होगा
- मार्जिन प्राइज पर देना होगा 18 प्रतिशत GST
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक बीते सप्ताह संपन्न हुई है, लेकिन इसके फैसले के बाद सामने आए नए नियमों ने लोगों को परेशान कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी नए जीएसटी नियमों को लेकर लोग नाराजगी जता रहे हैं। वहीं कई लोग इस असमंजस में हैं कि उन्हें किस तरह जीएसटी देना पड़ सकता है। नए नियमों में सबसे ज्यादा चर्चा में हैं पॉपकॉर्न और पुराने वाहनों पर जीएसटी। फिलहाल, इस खबर में हम बात कर रहे हैं जीएसटी काउंसिल के उस फैसले की, जिसमें पुराने वाहनों की बिक्री पर 18 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है। इससे पहले टैक्स अलग-अलग दरों पर लगाया जाता था।
इस फैसले के बाद लोगों के मन में यह असमंजस है कि पुरानी कार को बेचने पर जब वह पहले ही घाटे का सौदा कर रहे होंगे, ऐसे में 18 फीसदी टैक्स उनका घाटा और भी बढ़ा देगा। लेकिन, यहां बता दें कि, नए नियमों को लेकर जीएसटी काउंसिल ने साफ किया है कि पुरानी और इस्तेमाल की हुई कारों ‘सेकेंड हैंड’ की बिक्री पर किसे टैक्स देना होगा और किसे नहीं। आइए जानते हैं पुराने वाहनों से जुड़े नए जीएसटी नियम...
क्या आपको भी देना होगा जीएसटी?
यहां बता दें कि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी का यह नया नियम सिर्फ उन लोगों पर लागू होगा जो पुराने वाहनों की खरीदी-बिक्री के कारोबार से जुड़े हुए हैं। यानि कि कोई आम आदमी किसी अन्य व्यक्ति को अपनी पुरानी कार बेचता है तो उसे जीएसटी देने की जरूरत नहीं होगी। यानि कि इस पर कोई नया टैक्स नहीं लगेगा। इनमें सभी तरह के ईंधन वाली या इलेक्ट्रिक कार शामिल हैं।
कब देना होगा जीएसटी और कब नहीं?
नए नियम के अनुसार, पुराने वाहनों की बिक्री का कारोबार करने वाले किसी व्यक्ति या पंजीकृत इकाई ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत डिप्रेशियेशन का क्लेम किया है तो ऐसी स्थिति में जीएसटी केवल सप्लायर के ‘मार्जिन’ वाले मूल्य पर देना होगा। लेकिन, आपूर्तिकर्ता का बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर है और ‘मुनाफा’ नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
ऐसे समझें कैलकुलेशन
उदाहरण के तौर पर यदि पुराने वाहनों से जुड़ा कोई कारोबारी या रजिस्टर्ड यूनिट किसी 20 लाख रुपए की कीमत वाले सेकेंड हैंड वाहन को 10 लाख रुपए में बेचती है और वह आयकर अधिनियम के तहत उस पर 8 लाख रुपए के डेप्रिशिएशन का दावा करता है तो ऐसी स्थिति में उसे कोई जीएसटी नहीं देना होगा।
यहां स्पष्ट है कि वाहन का विक्रय मूल्य ते 10 लाख रुपए है, लेकिन डेप्रिशिएशन के बाद उसकी वर्तमान कीमत 12 लाख रुपए होती है। ऐसे में जब वह उस वाहन को 10 लाख रुपए में बेच रहा है तो उसे किसी तरह का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि, यदि डेप्रिशिएशन के बाद यह कीमत 12 लाख रुपए रहती है और बिक्री 15 लाख रुपए में होती है तो रजिस्टर्ड यूनिट को 3 लाख रुपए का फायदा होगा, जिस पर उसे 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा।
Created On :   25 Dec 2024 1:36 PM IST