समझौते से खत्म हुई रूस से वैगनर आर्मी की बगावत, मॉस्को से वापसी
- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच समझौता
- येवगेनी प्रिगोझिन नहीं चलेगा मुकदमा
- वैगनर सैनिकों पर नहीं चलेगा केस
- समझौते में बेलारूस की अहम भूमिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस से बगावत करने वाले वैगनर आर्मी के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच समझौता हो गया। पुतिन दो दशक से अधिक समय से सत्ता में हैं। संकट को कम करने के लिए रूसी सरकार ने समझौते को स्वीकार किया है। समझौते में अहम भूमिका बेलारूस के राष्ट्रपति ने निभाई, जिन्होंने वैगनर समूह के चीफ से बात की थी। वैगनर सेना का दावा है कि उसने तीन रूसी हेलीकॉप्टर को मार गिराया और वोरोनिश शहर में रूसी सैन्य सुविधाओं पर कब्जा कर लिया था। रूसी राष्ट्रपति पुतिन की सख्ती के बाद प्रिगोझिन को अपनी सेना और टैंकों को पीछे मोड़ना पड़ा । बगावत के 12 घंटे के भीतर ही वैगनर चीफ के तेवर कम हुए और उनको पीछे लौटाना पड़ा।
बगावत की शुरुआत में वैगनर सेना मॉस्को पर कब्जा करने के इरादे से आगे बढ़ रही थी। लेकिन अब सरकार और निजी सेना के बीच समझौता हो गया है, समझौते के तहत वैगनर सेना प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन के खिलाफ विद्रोह के आपराधिक मामले भी वापस ले लिए जाएंगे। सैनिकों पर भी मुकदमा नहीं चलेगा। समझौते में इसका प्रावधान भी है कि जिन वैगनर समूह के लड़ाकों ने विद्रोह में शामिल नहीं हुए, उन्हें रक्षा मंत्रालय की तरफ से नौकरी के लिए अनुबंध की पेशकश की जाएगी।
समझौते के बाद प्रिगोझन ने कहा कि खूनखराबा रोकने के लिए हमने फैसला लिया है कि हमारे साथी मॉस्को की ओर ना जाकर अब वापस फील्ड कैंप की ओर जाएंगे। हमारे काफिले वापस लौटेगे। राष्ट्र के नाम संदेश में पुतिन ने इस विद्रोह को 'विश्वासघात' और 'देशद्रोह' कहा था। उन्होंने विद्रोहियों को खत्म करने का वादा किया था।
न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक , क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ तनाव को कम करने के समझौते पर राजी हो गए हैं और वो अब पड़ोसी देश बेलारूस चले जाएंगे। उनके खिलाफ आपराधिक केस बंद कर दिए जाएंगे। बयान में कहा गया कि चूंकि पुतिन अप्रत्याशित परिणामों के साथ खूनखराबे और आंतरिक टकराव से बचना चाहते थे।