श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन: राम मंदिर आंदोलन में राजमाता विजयाराजे सिंध्या ने निभाई थी अहम भूमिका, बाबरी विध्वंस के बाद था- 'अब मैं बिना किसी अफसोस के प्राण त्याग सकती हूं...'
- राजमाता विजयाराजे सिंधिया राम मंदिर आंदोलन में सीधे और परोछ दोनों रूप से हमेशा प्रयास रत रहीं
- 1988 में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यपरिषद में राजमाता विजयाराजे सिंधिया पहली बार राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव लेकर आईं थी
- लिब्रहान कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में बाबरी विध्वंस में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की भूमिका दोषपूर्ण बताई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दशकों तक चलने वाले राम मंदिर आंदोलन में कई महिला चेहरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती और राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कोई साधारण महिला नहीं थी बल्कि ग्वालियर विरासत की महारानी थी। उनके पति और ग्वालियर के महाराज जीवाजी राव सिंधिया का कांग्रेस से ताल्लुक था। लेकिन राजमाता का झुकाव जनसंघ की तरफ ज्यादा था। पति की मौत के बाद उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया। बाद में वह भाजपा के टॉप लिडरशिप में शामिल हुई और राजनीतिक रूप से बेहद मजबूत भाजपा नेता के तौर पर उभर कर सामने आई।
6 दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी विवादित स्थल के नजदीक मंच पर वरिष्ठ नेताओं के साथ मौजूद थी। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए भाषण भी दिया था। अन्य हिंदू नेताओं के साथ राजमाता ने भी कारसेवकों का मंदिर आंदोलन में नेतृत्व किया था। साल 1988 में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यपरिषद में राजमाता विजयाराजे सिंधिया पहली बार राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव लेकर आईं थी।
'बाबरी मस्जिद को तोड़ा जाना होगा'
राजमाता विजयाराजे सिंधिया राम मंदिर आंदोलन में सीधे और परोछ दोनों रूप से हमेशा प्रयास रत रहीं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाबरी विध्वंस से करीब एक महीने पहले नवंबर 1992 में राजमाता ने पटना में कहा था, "बाबरी मस्जिद को तोड़ा जाना होगा।" बीबीसी के इसी रिपोर्ट के मुताबिक, बाबरी विध्वंस के दिन विजयाराजे सिंधिया ने मंच से कारसेवकों से कहा था कि सर्वश्रेष्ठ बलिदान के लिए तैयार रहें। 'क्रिएटिंग ए नेशनैलिटी : रामजन्मभूमि मूवमेंट एंड द फियर फॉर सेल्फ' नाम की किताब के अनुसार, बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कहा, "अब मैं बिना किसी अफसोस के प्राण त्याग सकती हूं क्योंकि, मैंने अपना सपना पूरा होते देख लिया।"
बाबरी विध्वंस में आरोपी
बाबरी विध्वंस के बाद केंद्र सरकार ने मामले की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया था। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान इस जांच कमेटी का नेतृत्व कर रहे थे। 17 साल बाद जब लिब्रहान कमिशन ने अपनी रिपोर्ट सौंपी तो बाबरी विध्वंस में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की भूमिका दोषपूर्ण बताई गई। कमिशन ने रिपोर्ट में 68 लोगों को बाबरी विध्वंस में दोषी करार दिया गया था।