Nagpur News: मिशन विधानसभा पर गृहमंत्री अमित शाह विदर्भ की सभी सीटों की करेंगे समीक्षा
- प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अलग होगी भाजपा की चुनावी रणनीति
- प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल रहेंगे देवेंद्र फडणवीस
- लोकसभा चुनाव में पराजय के कारणों पर होगी चर्चा
Nagpur News : रघुनाथसिंह लोधी. विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा अब बूथ और प्रभाग स्तर पर संगठन कार्य को अधिक सक्षम करने के प्रयास में है। लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा पराजित हुई। पराजय की शुरुआत विदर्भ से हुई। लिहाजा विदर्भ की सभी विधानसभा सीटों पर विशेष रणनीति के तहत कार्य किया जाएगा। रणनीतिक कार्य को गति देने के लिए भाजपा के चाणक्य कहे जानेवाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 23 सितंबर को आ रहे हैं। वे संगठन के शहर व जिला स्तर की कोर कमेटी के पदाधिकारियों व सदस्यों से चर्चा करेंगे। लोकसभा चुनाव में पराजय के कारणों पर भी मंथन होगा।
120 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य
महायुति में सबसे बड़े दल के नाते भाजपा कम से कम 120 सीटें जीतने के लक्ष्य पर काम कर रही है। 2014 में भाजपा ने अपने बल पर चुनाव लड़ा था। पराजय हुई 288 से 122 विधानसभा सीटें जीती थीं। तब भाजपा ने बहुमत के साथ सत्ता का नेतृत्व किया था। इस बार उसके साथ उसके दो प्रमुख सहयोगी दल शिवसेना शिंदे व राकांपा अजित है। 120 सीटों का लक्ष्य पाने के लिए भाजपा 145 से 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। राज्य में भाजपा की चुनाव रणनीति के 3 प्रमुख नेताओं में प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस है। लोकसभा चुनाव में महायुति की पराजय के बाद फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन पार्टी हाइकमान ने उन्हें ही विधानसभा चुनाव का महत्वपूर्ण जिम्मा सौंपा है।
विदर्भ पर जोर क्यों
विदर्भ में पहले कांग्रेस का अधिक प्रभाव रहा। लेकिन बाद में भाजपा का दबदबा बढ़ा। 2014 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तब विदर्भ में भाजपा की बढ़ी ताकत को भी सत्ता का मुख्य आधार माना गया था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को विदर्भ में झटका लगा। राज्य में 105 सीटें जीतने के बाद भी भाजपा विदर्भ में कई सीटों पर पिछड़ गई। विदर्भ में 32 प्रतिशत से अधिक मतदाता अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के है। भाजपा के नेता भी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में संविधान व आरक्षण का मुद्दा भाजपा के लिए घातक रहा। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग का अधिक मतदान नहीं मिल पाया। लोकसभा के पहले व दूसरे चरण का मतदान विदर्भ में हुआ। इन दो चरण के मतदान में भाजपा केवल 4 सीटों तक ही सीमित रही। लिहाजा डेमैज कंट्रोल के प्रत्येक पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।