मेडिकल के ओपीडी में होगा नशे के आदी लोगों का इलाज
मेडिकल के ओपीडी में होगा नशे के आदी लोगों का इलाज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नशे के आदी हो रहे लोगों, खासकर युवाओं को नशे की दलदल से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार खास मुहिम चला रही है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली को नोडल एजेंसी बनाया है। एक सेंटर केईएम अस्पताल, मुंबई को भी बनाया गया है। जिम्मेदारी के तहत केईएम अस्पताल, मुंबई ने इस विशेष मुहिम के लिए नागपुर स्थित मेडिकल अस्पताल को सेंटर नियुक्त किया है। यहां नशे की लत के मरीजों के लिए विशेष बाह्य रोग विभाग (ओपीडी) चलाई जाएगी।
दवाइयां भी मिलेंगी
जानकारी के अनुसार, बच्चों से लेकर बड़ों में मदिरा, गांजा, स्मैक, वॉइटनर की लत बढ़ रही है। नशे की गिरफ्त में आए मरीजों का उपचार पहले यहां के मेडिसिन एवं मनोरोग विभाग में किया जाता था। विशेष ओपीडी बन जाने के बाद वहां इन मरीजों काे विशेष परामर्श िदया जाएगा। उपचार से लेकर काउंसलिंग की सुविधा भी यहां रहेगी। इसके लिए तीन स्टॉफ नियुक्त होंगे। इसमें मेडिकल ऑफिसर, काउंसलर और आशा कार्यकर्ता शामिल हैं। मरीजों को दी जाने वाली दवाएं भी सेंटर खुद ही उपलब्ध करवाएगा। इससे इसका बोझ मेडिकल पर नहीं पड़ेगा। मेडिकल के सिर्फ मनोरोग विशेषज्ञ अपनी सुविधाएं देंगे।
उपचार में लाभ
ऐसे मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा और उनका फॉलोअप लेने में भी परेशानी नहीं होगी। वहीं, तय नई गाइडलाइन के द्वारा उपचार होने से मरीजों को उसका लाभ मिलेगा।
सैकड़ों मरीज आते हैं यहां
मेडिकल के अपघात विभाग में प्रतिदिन नशे की लत वाले करीब 4 से 5 मरीज पहुंचते हैं, जबकि ओपीडी में प्रतिदिन करीब 8 से 10 मरीज नशे की लत का उपचार लेने पहुंचते हैं। आंकड़ों के अनुसार, प्रति माह औसतन करीब 300 से 400 मरीज उपचार के लिए सिर्फ मेडिकल में पहुंचते हैं। इसके अतिरिक्त नागपुर में इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) के अलावा निजी अस्पताल एवं एनजीओ द्वारा संचालित संस्थानों में भी ऐसे मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं।
तय मानकों के आधार पर उपचार
भारत सरकार का उपक्रम होने की वजह से तय मानकों के आधार पर उपचार किया जाएगा। वह फोकस में रहेगा और स्टेंडर्ड केयर में मरीजों का उपचार होगा। नियमित ओपीडी के बारे में जागरूकता होगी तो मरीजों को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। इसके लिए हम सतत प्रयास कर रहे हैं कि अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल सके।- डॉ. सजल मित्रा, अधिष्ठाता, मेडिकल