महिला व खेतिहर मज़दूरों ने श्रमदान से बनाया वनराई बांध
अकोला महिला व खेतिहर मज़दूरों ने श्रमदान से बनाया वनराई बांध
डिजिटल डेस्क, मालेगांव(अकोला)। ग्राम मेड़शी के भाऊसाहब विठ्ठलराव मिरचीकर के खेत में समीपस्थ नाला है । इस नाले में 12 माह जल उपलब्ध होता है लेकिन नाले पर कहीं भी पानी रोकने की व्यवस्था न होने से यह पानी बहकर नदी में जाता है । इस कारण खेत के किनारे होने के बावजूद इस नाले का खेति के लिए किसानों को कुछ भी फायदा नहीं हो रहा था । इस कारण पानी रोको, पानी जिरवा मुहिम के अंतर्गत वनराई बांध बनाकर पानी रोकते हुए इसे कृषि उपयोग में लाया जा सकता है, इसका महत्व कृषि विभाग की ओर से समझाया गया । जिसके बाद मेड़शी के मेहनत मशक्कत और मज़दूरी करनेवाली महिला व पुरुषों ने अपने श्रमदान से इस नाले पर वनराई बांध बांधकर उसका पानी रोका है । मेड़शी की मेहनतकश महिलाओं की पहल से अब नाले में भरपुर पर्याप्त पानी उपलब्ध हुआ है ।
सर्वप्रथम खाली सिमेंट की बोरियों में मिट्टी मिश्रित रेत भरकर उसका मुंह बंद कर यह कट्टे नाले के किनारे यह कट्टे रचकर उनकी दीवार तैयार की । जिसके बाद मात्र कुछ हिस्से से अल्प प्रमाण में पानी बह रहा था जिसे काली मिट्टी ड़ालकर बंद किया गया । इस नाले में भरपुर जल उपलब्ध होने से नाले के किनारे जिनके खेत है, ऐसे किसानों को गेहूं और चना फसल लेने के लिए सुविधा होंगी । श्रमदान कार्यक्रम में कृषि पर्यवेक्षक एच.डी. कांबले के साथही कृषि सहायक सोनवणे, ढवले उपस्थित थे । ग्राम मेड़शी की महिलाओं में से शांताबाई काले, पुष्पाबाई घुगे, आशाबाई पवार, पार्वतीबाई कुठे, शारदाबाई कुठे, शोभा करवते तो पुरुषाें में से रमेश करवते, संघपाल तायडे, बंडू व्यवहारे, अजिंक्य मेडशीकर ने श्रमदान करते हुए बेहद उत्कृष्ट बांध का निर्माण किया है ।