1,242 राजस्थान के अदालतों में ऑनलाइन बयान दर्ज करवाएंगे गवाह
गवाह के ऑनलाइन बयान 1,242 राजस्थान के अदालतों में ऑनलाइन बयान दर्ज करवाएंगे गवाह
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- 242 राजस्थान के अदालतों में ऑनलाइन बयान दर्ज करवाएंगे गवाह
डिजिटल डेस्क, जयपुर। प्रदेश की न्यायपालिका में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाहों के बयान दर्ज करने का नया अध्याय शुरू हो गया है। एसओजी डीआईजी शरत कविराज इस सुविधा का लाभ उठाने वाले पहले आईपीएस बन गए क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को बनीपार्क जयपुर कोर्ट से गंगानगर कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। कविराज ने जयपुर मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में मौजूद रहते हुए गंगानगर कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन मंजूरी के मामले में वीसी के जरिए गवाह के तौर पर अपना बयान दर्ज कराया। मामले की सुनवाई गंगानगर कोर्ट में चल रही है।
कविराज का कहना है कि इससे उनकी कई मील की यात्रा बची, जिससे उन्हें कार्यालय से तीन दिनों तक अनुपस्थित रहना पड़ता। वीडियो कांफ्रेंसिंग समय बचाएगा और परीक्षणों में तेजी लाएगा। बानीपार्क, जयपुर और गंगानगर न्यायालयों के न्यायाधीशों ने इस सुविधा को सफलतापूर्वक शुरू किया क्योंकि उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बयान दर्ज करने से संबंधित नियमों को अधिसूचित किया था। इसके लिए, राज्य सरकार पहले ही सीआरपीसी में संशोधन कर चुकी है।
गृह विभाग के विशेष सचिव वी. सरवन कुमार ने कहा कि सुविधा शुरू होने से गवाहों को अब अदालतों में व्यक्तिगत रूप से बयान दर्ज करने के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करने से राहत मिलेगी। गवाह कोर्ट परिसर में बनाए गए वीसी रिमोट प्वाइंट स्टूडियो में जाकर अपने बयान दर्ज करेंगे। पहले चरण में सभी जिला न्यायालयों में ऐसे वीसी रिमोट प्वाइंट स्टूडियो उपलब्ध कराए गए हैं। एक समन्वयक, जो न्यायालय का एक कर्मचारी होता है, उनको स्टूडियो के संचालन के लिए नियुक्त किया जाता है। कुमार का कहना है कि राज्य में स्थित 1,242 अदालतों में वीसी के संचालन के लिए हार्डवेयर लगाया गया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के सुचारू संचालन के लिए माइक्रोसॉफ्ट लाइसेंस और फाइबर इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है।
दूसरे चरण में, तालुका अदालतों को वीसी रिमोट पॉइंट की सुविधा मिलेगी। इससे सरकारी दफ्तर और अस्पताल भी जुड़ेंगे। यह सुविधा उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित नियमों के अनुसार गवाहों द्वारा बयानों की समय पर रिकॉडिर्ंग सुनिश्चित करेगी। इससे समय और सरकारी खर्च की बचत होगी और त्वरित टेस्ट पूरी तरह से संभव होंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग की पारदर्शी प्रक्रिया से अदालती मामलों में भी लंबित मामलों में कमी आने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया के तहत लोक अभियोजक (पीपी) अदालत से वीसी के माध्यम से गवाहों के बयान दर्ज करने का अनुरोध करता है। एक बार जब अदालत अनुमति दे देती है तो अदालत के अधिकारी वीसी के लिए स्लॉट बुक कर देते हैं। गवाहों को बयान दर्ज करने के लिए वीसी रिमोट पॉइंट्स पर जाने की जरूरत है।
(आईएएनएस)