50 प्रतिशत कुओं का पानी पीने लायक नहीं
कुछ सूखे, कुछ कचराघर बने 50 प्रतिशत कुओं का पानी पीने लायक नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मौजूदा समय में बस्तियों में नल और हैंडपंप लग जाने से शहर के कुओं के पानी का उपयोग बंद हो गया है। ये कुएं या तो सूख चुके हैं या फिर कचराघर में तब्दील हो गए हैं। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि 50 प्रतिशत सार्वजनिक कुओं का पानी पीने के लायक नहीं है। इस मामले में हाई कोर्ट ने महानगर पालिका को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
पाट दिए गए कुएं : याचिकाकर्ता संदेश सिंगलकर है। यह जनहित याचिका 2021 में दाखिल की गई थी। याचिका के अनुसार पहले गांव में एक कुएं से पानी की आपूर्ति होती थी। भोंसलेकाल में नागपुर शहर में विभिन्न स्थानों पर ऐसे कुएं बनवाए गए। अग्निशमन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, शहर में कम से कम आठ से दस ऐसे कुएं थे। अब कहा जा रहा है कि इसे कचरा फेंक कर पाट दिया गया था। दस-पंद्रह साल पहले तक इन कुओं में पानी भरा था। अब ये कुएं बुझ चुके हैं। नागपुर शहर को आज भी टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ रही है।
जानकारी उपलब्ध नहीं : याचिकाकर्ता ने जब सूचना के अधिकार के तहत शहर में सार्वजनिक कुओं की स्थिति के बारे में पूछा तो मनपा ने कहा कि जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दायर की है। इस बीच मनपा के निर्देशानुसार राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने शहर के कुओं का निरीक्षण किया था। इस अनुसार हाई कोर्ट ने ‘नीरी' से कुओं की सर्वे रिपोर्ट मांगी थी। नीरी के सर्वे के मुताबिक शहर के 50 फीसदी सार्वजनिक कुओं के पानी पीने लायक नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि इन कुओं को पुनर्जीवित करना जरूरी है। इस मामले में बुधवार को न्या. अतुल चांदुरकर और न्या. महेंद्र चंदवानी की खंडपीठ ने मनपा को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. स्मिता सिंगलकर ने पैरवी की।