जलाशय सूखे, वर्धा जिले में जलसंकट से बिगड़े हालात
जलाशय सूखे, वर्धा जिले में जलसंकट से बिगड़े हालात
डिजिटल डेस्क, वर्धा। अत्यल्प बारिश व जलाशयों का पानी सूख जाने से वर्धा जिले में भारी जलसंकट की स्थिति निर्माण हुई है। पानी के तरस रहे लोगों ने नगर परिषद प्रशासन से शिकायत की लेकिन नप की अनदेखी के चलते स्थिति विकट होते जा रही है। बता दें कि दो वर्ष से पर्याप्त बारिश नहीं होने से गर्मी के दिनों में जलसंकट की स्थिति कम बारिश से जिले के कई जलाशयों में पर्याप्त जल संचय नहीं हो पाया। यही वजह है कि बांधों में काफी कम मात्रा में पानी बचा है। प्रशासन को इस बारे में जानकारी होने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिये जाने से लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
फरवरी महीने में ही नदी सूख गयी। हर वर्ष खेती के लिए बांध से पानी छोड़ा जाता है। इस वर्ष कम पानी छोड़ा गया। बांध का पानी छोड़ा गया तो प्रशासन द्वारा इस पानी को जमा करने के लिए कोई उपाययोजना नहीं की गई। परिणामत: मार्च-अप्रैल महीने से ही जलसंकट निर्माण हो गया है। आठ दिनों के अंतराल में शहर को नल से जलापूर्ति की जा रही है। इसमें भी दूषित जलापूर्ति हो रही है, जिससे नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। आठ-दस वर्ष पहले ऐसी ही स्थिति निर्माण हुई थी। उस समय सत्ताधारियों ने आंदोलन कर तत्कालीन प्रशासन को चेताया था। उस वक्त प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए गुंजखेड़ा परिसर के नदी पर मिट्टी का कच्चा बांध बनाकर पानी जमा कर डेढ़ महीने शहर को जलापूर्ति की थी। इस वर्ष भी समस्या काफी बिकट है।
4 महीने से वॉटर फिल्टर बंद
भक्तों की सुविधा के लिए टाकरखेड़ ग्रामपंचायत के सामने वॉटर फिल्टर लगाया गया,जो पिछले चार महीने से खराब होने के कारण बंद पड़ा हुआ है। इसके चलते भक्तों को परेशानी हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता अश्विन शेंडे ने दी सहयोग राशि से व विवाद मुक्त समिति टाकरखेड़ को मिले पुरस्कार से ग्रामपंचायत के सामने वॉटर फिल्टर लगाया है। उसकी देखरेख व मरम्मत की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत प्रशासन की होने के बाद भी इस ओर अनदेखी की गई। यह वॉटर फिल्टर गत चार महीनों से बंद है। तेज धूप के कारण बाहर गांव से आए भाविक ठंडा पानी पीने वॉटर फिल्टर की ओर जाते हैं। लेकिन उन्हें पानी नहीं मिलता। ग्रामपंचायत प्रशासन से इस ओर शीघ्र ध्यान देकर वॉटर फिल्टर की मरम्मत करने की मांग टाकरखेड़ वासियों ने की है। यहां पर हर रोज 500 नागरिक मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।