नेताओं से नाराज ग्रामीणों ने दी धमकी- कोई भी राजनीतिक पार्टी गांव में प्रवेश न करे
नेताओं से नाराज ग्रामीणों ने दी धमकी- कोई भी राजनीतिक पार्टी गांव में प्रवेश न करे
डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/परासिया। रोड नहीं होने से शंकरपुर के ग्रामीण इतने परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने इस बार मतदान का बहिस्कार करने की चेतावनी देते हुए गांव के बाहर बैनर टांग दिया है जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी गांव में प्रवेश न करे। इस संबंध में ग्रामीणें का कहना है कि चुनाव के दौरान राजनैतिक दलों को वोटर और उनकी समस्याएं याद आती हैं। इस दौरान लोक लुभावने वादे और घोषणाएं भी होती है। वही परासिया विधान सभा क्षेत्र की पंचायत सावलाढाना के वनग्राम शंकरपुर में ग्रामीणों ने राजनैतिक दलों का प्रवेश निषेध कर दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि रोड नहीं, तो वोट नहीं। पट्टा की जमीन पर रहने और कृषि कार्य करने वाले ग्रामीणों ने पक्की सड़क की मांग करते हुए चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लेकर एसडीएम को भी पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है।
ग्रामीणों की नाराजगी इतनी है कि गांव से जुडऩे वाले पगड्ंडी मार्ग पर उन्होंने रोड की मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी वाला बेनर लगाया है। ग्रामीण कबीर दास, बलवीर इवनाती, बीरबल इवनाती, अनिल परतेती, कलसी बाई उइके, कलसा बाई धुर्वे, मीरा बाई कवरेती कहती हैं कि अब तक कोई भी राजनैतिक दल अथवा प्रत्याशी उनके पास नहीं आया है, न ही प्रशासन ने ही उनकी खबर लेने का प्रयास किया है। जबतक पक्की सड़क नहीं बनेगी, गांव का कोई भी व्यक्ति वोट डालने नहीं जाएगा। राजनैतिक नेताओं और उनके प्रचार वाहनों का प्रवेश रोकने ग्रामीण बारी-बारी से गांव के बाहर रास्ते में पहरेदारी भी कर रहे हैं।
वन मार्ग और पगडंडी से होता है आना जाना शंकरपुर से सेठिया पंचायत की दूरी लगभग 6 किमी और झुर्रेकला पंचायत की दूरी लगभग 5.5 किमी है। सेठिया मार्ग पर तीन किमी से अधिक और झुर्रेकला मार्ग पर तीन किमी वनमार्ग है। ग्रामीण का कहना है कि वनक्षेत्र में पक्की सड़क बन गई, तो उनकी अधिकांश समस्या स्वत: समाप्त हो जाएगी।
यह है स्थिति
सावलाढाना पंचायत में सावलाढाना, दामोदर थावरी, डोमा थावरी और शंकरपुर आबादी क्षेत्र शामिल हैं। लगभग 50 घर और 300 वोटर वाला यह आबादी क्षेत्र पहुंच मार्ग के लिए वर्षों से प्रतिक्षा कर रहा है। जंगलों के बीच स्थित इस गांव में 15 साल पहले बिजली पहुंच गई है। गांव के बाहर पांच साल पहले दो हैण्डपम्प लगे है, जो वर्षभर उनकी प्यास बुझाते हैं। ग्रामीण दूसरे गांव 3 किमी दूर जाकर अनाज पिसाकर लाते हैं। गांव में मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र और प्रायमरी स्कूल है। मिडिल और हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वर्षाकाल में 25- 30 बच्चों को गांव से बाहर निकलना मुश्किल होता है। सरकार से मिली साइकल इनके लिए बेकार साबित हो रही है। इलाज के लिए ग्रामीणों को 10 किमी दूर बाघबर्धिया उप स्वास्थ्य केन्द्र पैदल पहुंचना होता है।
गांव नशा निषेध
शंकरपुर में कोई भी शराब नहीं पीता है। गांव में जयगुरूदेव के नाम का झंडा प्राय: हर घर पर लगा है। आदिवासी बाहुल्य इस वनगांव के ग्रामीणों का कहना है कि शराब नहीं पीने से गांव में आपसी विवाद नहीं होते हैं। सभी मिल जुलकर रहते हैं। आपसी सहमति से भी काम करते हैं। गांव में मात्र कुछ लोगों के पास मोटर साइकल है और सिर्फ 6 लोगों के पास ही पक्के मकान है।
इनका कहना है
शंकरपुर के ग्रामीणों द्वारा रोड निर्माण की मांग करते हुए चुनाव बहिस्कार करने की चेतावनी दी है। ग्रामीणों को समझाईश देकर शतप्रतिशत वोटिंग करवाने का प्रयास होगा।
दीपक वैद्य, एसडीएम, परासिया