सरकार की बेरुखी से IPS संजय पांडे हताश, सीएम ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा- छुट्टी पर जा रहा हूं, शायद ही कभी पुलिस फोर्स में लौटूं

सरकार की बेरुखी से IPS संजय पांडे हताश, सीएम ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा- छुट्टी पर जा रहा हूं, शायद ही कभी पुलिस फोर्स में लौटूं

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-19 13:24 GMT
सरकार की बेरुखी से IPS संजय पांडे हताश, सीएम ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा- छुट्टी पर जा रहा हूं, शायद ही कभी पुलिस फोर्स में लौटूं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की बेरुखी से IPS संजय पांडे हताश नजर आ रहे हैं। अपनी हताशा जाहिर करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि सेवा में लौटना है या नहीं, यह सोचने का वक्त आ गया है। दरअसल, 1986 बैच के आईपीएस संजय पांडे महाराष्ट्र पुलिस के सबसे सीनियर अधिकारी है। बुधवार को DG होमगार्ड से महाराष्ट्र स्टेट सिक्योरिटी फोर्स (MSF) में उनका तबादला कर दिया गया। पांडे की जगह मुंबई कमिश्नर के पद पर रहे परमबीर सिंह को होमगार्ड का DG बनाया गया। परमबीर सिंह को एंटीलिया केस में सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद पद से हटाया गया है।

पांडे ने कहा,, "कोई भी सरकार आए, हमें साइड पोस्टिंग में ही रखती है। वर्तमान सरकार भी हमारा करियर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।" पांडे ने कहा, मैने परीक्षा दी तो उस समय IAS, IFS की बजाय IPS का करियर चुना। मुझे पुलिस में नौकरी करनी थी। पर संयोग है कि मुझे कभी पुलिस यूनिफॉर्म पहनने का मौका नहीं मिला। मुझे कभी पुलिसिंग का मौका नहीं मिला। मैंने तो वॉलेंटरी रिटायरमेंट लेना चाहा, वो भी मुझे नहीं लेने दिया गया। 2006 में विजिलेंस में ज्वाइंट कमिश्नर बनने के बाद मैं बीमार हो गया। मुझे 4 साल तक पुलिस की सेवा से बाहर रखा गया। 2012 में जब मैंने फिर वापसी की तो फिर से साइड पोस्टिंग ही मिली। मेरे करियर में तकरीबन 20 साल की साइड पोस्टिंग की नौकरी रही है।

बता दें कि पांडे जब 1992-93 में DCP थे, तब वे धारावी में थे। वे इस जोन के पहले DCP (पुलिस उपायुक्त) थे। संवेदनशील एरिया होने के बावजूद उनके कार्यकाल में यहां कोई दंगा नहीं हुआ। 1997 में हुए एक बड़े घोटाले में उनकी जांच की तारीफ पूरा पुलिस महकमा करता है। वरिष्ठता के आधार पर संजय पांडे की नियुक्ति पुलिस महानिदेशक या फिर मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद पर की जा सकती थी। पर उन्हें ये पद तो दूर, एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के DG का पोस्ट भी नहीं दिया गया, जो कि उन्हें दिया जा सकता था। 

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