फ्लाई ओवर पर बिजली के पोल लगाने की आड़ में अब यूं लगेगा 24.33 लाख का चूना !
सतना फ्लाई ओवर पर बिजली के पोल लगाने की आड़ में अब यूं लगेगा 24.33 लाख का चूना !
डिजिटल डेस्क,सतना। स्मार्ट सिटी के अंदर नेशनल हाइवे पर 56 करोड़ 57 लाख की लागत से तकरीबन 5 साल से निर्माणाधीन सेतु निगम के फ्लाईओवर पर अब बिजली के पोल लगाने की आड़ में भारी गोलमाल है। इस मद से नगर निगम को सेतु निगम से बड़े भाग्य से1 करोड़ 46 लाख का भारी भरकम बजट मिला है। नगरीय प्रशासन विभाग के मुख्य अभियंता, कलेक्टर, निगमायुक्त और सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री से की गई शिकायतों से कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। तकनीकी विशेषज्ञों का दावा कि यदि इस मद के ऑनलाइन जारी किए टेंडर पर अमल हुआ तो जहां गुणवत्ता की गारंटी रहेगी वहीं भारी सरकारी आर्थिक क्षति भी तय है।
तीन बड़े सवाल :------
मसलन- पोल लगाने के लिए जब सेतु निगम पहले ही फाउंडेशन वर्क कर चुका है, तब निविदा प्राक्कलन में इसी फाउंडेशन वर्क को क्यों शामिल किया गया है? सवाल यह है कि जब फाउंडेशन वर्क नगर निगम की जिम्मेदारी में नहीं है, तो इसे निविदा प्राक्कलन में किस मंशा से शामिल किय गया? साफ है कि सुनियोजित साजिश के तहत 25 लाख 83 हजार 200 रुपए के बंदरबाट का जुगाड़ किया गया। ब्रिज कारपोरेशन के तकनीक जानकार भी सवाल उठाते हैं कि जब यह फाउंडेशन वर्क महज डेढ़ लाख में हो सकता था, तब प्राक्लन में इस मद के लिए 25 लाख 83 हजार का बजट प्रावधान क्यों किया गया? वैसे भी जमीन के काम का फ्लाई ओवर पर क्या काम? मगर, चहेते ठेेकेदार के लिए कुछ भी करना,नगर निगम जिम्मेदारों की फितरत बन चुकी है।
गायब हो गए डिजायनर पोल :-----
लगभग1960 मीटर लंबे फ्लाई ओवर पर पहले डिजायनर पोल लगाने की बड़ी-बड़ी बातें की गई थीं, मगर नगर निगम के निविदा प्राक्कलन से डिजायनर पोल का प्रावधान गायब है। बड़ा बजट हाथ लगने के बाद इरादा बदल गया है। जानकारों के मुताबिक इसके बाद ट्यूबलर पाइप लगाकर जेब भरी जाएगी। इन्हीं जानकारों ने बताया कि थ्री डायमेंसन फ्लाई ओवर के दोनों ओर कुल160 ट्यूबलर पाइप के पोल लगाकर एलईडी लटकाई जाएगी। तो क्या, डिजायनर पोल लगाने की बातें सिर्फ प्राक्लन का बजट बढ़ाने के लिए बोला गया झूठ था ?
42 फीसदी बिलो टेंडर पर गुणवत्ता की गारंटी नहीं :------
नगरीय प्रशासन विभाग के मुख्य अभियंता, कलेक्टर , निगमायुक्त और सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री से की गई शिकायत में सवाल उठाए गए हैं कि नए एसओआर की आड़ लेकर निविदा का रेट 40.99 फीसदी एसओआर पर कोड किया गया है। सवाल यह भी है कि इतने सस्ते में गुणवत्ता पूर्ण काम की गारंटी कौन लेगा? आरोप है कि चहेते ठेकेदार को उपकृत करने के लिए गुणवत्ता की गारंटी भाड़ में झोंक दी गई? वित्तीय दर खुलने से ये सच सामने आया है।
मगर,10 दिन बाद भी ऊपर से नीचे तक चुप्पी :-----
इस मसले का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि राज्य शासन के नगरीय प्रशासन विभाग के मुख्य अभियंता, कलेक्टर , निगमायुक्त और सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री से इस आशय की शिकायत अब से तकरीबन10 दिन पहले की गई थी लेकिन अर्से बाद भी ऊपर से नीचे तक इस मामले में जिम्मेदारों ने अभी भी रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है। जबकि सब जानते हैं कि निविदा प्राक्कलन के आइटम नंबर2 (कोड16.7) से साफ है कि बिजली के पोल के लिए जिस काम को सेतु निगम पहले ही कर चुका है, जमीन के उसी काम को फ्लाईओवर पर बता कर उसे जबरिया घुसेड़ा गया है। इतना ही नहीं पहले ही हो चुके इस काम की लागत25 लाख 83 हजार 200 रुपए लगाई गई है,जबकि सीमेंट कांक्रीट के इस काम का अनुमानित खर्च महज 1लाख 50 हजार रुपए है।