बाघ की दहशत, तीन दिन में दो महिलाएं हुईं शिकार
चंद्रपुर बाघ की दहशत, तीन दिन में दो महिलाएं हुईं शिकार
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। नागभीड़ तहसील के तलोधी बालापुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत पिछले तीन दिनों में दो महिलाएं बाघ का शिकार बनी हंै। घटना के बाद वनविभाग ने घटनास्थल पर ट्रैप कैमरे लगाए, कैमरे में बाघ के पगमार्क आये हैं। पगमार्क से अनुमान लगाया जा रहा है हमला करने वाला बाघ ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प का है जो उसी दिशा में लौट गया है। वनविभाग की ओर से गांव में जनजागरण कर खेत में काम करने वालों को शाम 4.30 बजे के बाद न रहने की अपील की जा रही है। तलोधी बालापुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत सावरगांव निवासी बाजीराव कोहरे के खेत में धान की कटाई के दौरान बाघ ने सावरंगाव निवासी संगीता संजय खंडारे (45) पर हमला कर दिया। गंभीर हालत में उसे जिला सरकारी अस्पताल भेजा गया किंतु वहां पहुंचने के पूर्व ही उसकी मौत हो गई। महिला को तत्काल मदद के रूप में तलोधी अस्पताल में 7,000 और जिला अस्पताल में तलोधी के वन परिक्षेत्र अधिकारी (अतिरिक्त कार्यभार) महेश गायकवाड और सहायक उपवन संरक्षक कार्तिक ढोंडने के हाथों 20,000 रुपए की मदद दी गई। इसके पूर्व 26 नवंबर की शाम नागभीड़ तहसील के पाहार्णी गांव निवासी वनिता वासुदेव कुंभरे (57) पर बाघ ने हमला कर दिया था। जिसमें उसकी मौत हो गई थी। तीन दिनों के भीतर दो महिलाएं बाघ का शिकार होने से ग्रामीणों में दहशत बनी है।
ताड़ोबा का बाघ होने का अनुमान
सोमवार की घटना के बाद वनविभाग की टीम मौके पर पहुंची और वहां पर घटनास्थल पर 4 ट्रैप कैमरे लगाए है। मंगलवार की सुबह वनविभाग की टीम ने कैमरों की जांच की तो कैमरे में बाघ के पगमार्क दिखाई दिए है। पगमार्क के आधार पर अनुमान लगाया है कि सावरगांव की महिला पर हमला करने वाला बाघ ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से आया है और उसे कोई कालर आईडी नहीं है इससे उसकी पहचान नहीं हुई है। बाद में उसके ताड़ोबा की ओर लौटने के पगमार्क मिले हैं।
ग्रामीणों में किया जा रहा जनजागरण
तीन दिनों के बीच बाघ के हमले में दो महिलाओं की मौत होने से खेतों में काम करने वाले मजदूरों में बाघ की दहशत बनी हुई है। मंगलवार को वनविभाग की टीम ने आस पास के कन्हालगांव, सावरगांव, चिखलगांव और नांदगांव में ग्रामीणों में जनजागरण के लिए मुनादी करायी। साथ ही खेत में जाते समय और लौटते समय पर झुंड में निकले, शाम को 4.30 बजे के बाद खेतों से निकलकर अपने घर लौटे, काम के दौरान आपस में बातचीत करते रहे। उसी प्रकार काम के दौरान खेत के पास कोई व्यक्ति रखवाली करता रहे जिससे इस प्रकार की घटना से बचा जा सके।