गड़चिरोली के सरकारी कार्यालयों में रिक्त पड़े हैं हजारों पद
अनदेखी गड़चिरोली के सरकारी कार्यालयों में रिक्त पड़े हैं हजारों पद
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल गड़चिरोली के विकास हेतु केंद्र तथा राज्य सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की निधि आवंटित करती है, लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु जिला प्रशासन के पास अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या उपलब्ध न होने से आम लोगों तक पहुंचना कठिन साबित हो रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले के विभिन्न विभागों में 2 हजार 851 पद रिक्त होने की जानकारी मिली है।
जानकारी के मुताबिक जिले में वर्ग एक व दो के अधिकारियों की नियुक्ति तबादले से की जाती है। गड़चिरोली जिले के नाम सुनते ही अधिकारी यहां आने से कतराते हैं। हालांकि, पुलिस विभाग ने तबादले को लेकर कड़े नियम बनाए हैं। इन नियमों के कारण मुंबई, पुणे के पुलिस अधिकारी गड़चिरोली में अपनी सेवा दे रहे हैं। अन्य विभागों में तबादलों के संदर्भ में कड़ी नीति न अपनाए जाने से जिले में रिक्त पदों का अनुशेष बढ़ रहा है। सरकार द्वारा प्राप्त निधि के नियोजन की जिम्मेदारी राजस्व और जिला परिषद को सौंपी गई है। इसके अंतर्गत आने वाले कृषि, शिक्षा, ग्राम विकास, पशुसंवर्धन, स्वास्थ्य विभाग समेत 74 सरकारी कार्यालय कार्यरत हैं। इन कार्यालयों में 514 पद मंजूर होकर इनमें से 189 पद रिक्त हैं। राजस्व विभाग में 18 नायब तहसीलदार समेत पांच तहसीलदार और एक अपर जिलाधीश का पद रिक्त है। जिप के तहत आने वाले एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प अधिकारी समेत अन्य पद भी रिक्त हैं। जिले में वर्ग 2 के अधिकारियों के 1 हजार 126 पद मंजूर हैं। जिनमें से 270 पद रिक्त हैं। वर्ग 3 के 8 हजार 169 मंजूर पदों में से 1 हजार 570 पद रिक्त हैं। कुल मिलाकर जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों में 2 हजार 851 पद रिक्त होने से आम लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग में सर्वाधिक पद रिक्त
आदिवासी नागरिकों को प्रभावी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया गया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों के कई पद रिक्त हैं। जिप के तहत वर्ग 1 के 72 पद रिक्त होने की जानकारी है। जिसमें 27 पद वैद्यकीय अधीक्षकों के हैं। वर्ग 2 के वैद्यकीय अधिकारियों के 16 पद रिक्त हैं। डाक्टरों की कमी होने के कारण अधिकांश कार्यरत डाक्टरों पर दो से तीन अस्पतालों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिससे मरीजों का इलाज कर पाना कठिन साबित हो रहा है।
जिला महिला व बाल अस्पताल में भी रिक्त पद बने समस्या
जिला मुख्यालय के एकमात्र जिला महिला व बाल अस्पताल में भी रिक्त पदों का अनुशेष है। अस्पताल का अधिकांश कार्य ठेका कर्मियों के भरोसे चलाया जा रहा है। कर्मचारियों को नियुक्त करने की लगातार हो रही मांग के बाद भी सरकार द्वारा अनदेखी की जा रही है।