मनपा चुनाव में 3 सदस्यों का होगा एक प्रभाग
राज्य सरकार ने बदला फैसला मनपा चुनाव में 3 सदस्यों का होगा एक प्रभाग
डिजिटल डेस्क , नागपुर। आगामी फरवरी 2022 में होने जा रहे नागपुर महानगरपालिका चुनाव अब ‘एक वार्ड, एक सदस्यीय’ पद्धति से नहीं होंगे। राज्य सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए आगामी चुनाव बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति से करने का निर्णय लिया है, अर्थात एक प्रभाग में अब तीन नगरसेवक होंगे। जल्द ही इस संबंध में नया अध्यादेश जारी किया जाएगा। राज्य सरकार के इस फैसले से अब मनपा चुनाव प्रशासन को फिर नये सिरे से प्रभागों की रचना करनी होगा। कोविड के हालातों को देखते हुए मंत्रिमंडल में बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति लागू करने का फैसला लिया गया। हालांकि परदे के पीछे बहुत कुछ होने की चर्चा है। बताया जाता है कि कांग्रेस-राकांपा एक सदस्यीय प्रभाग पद्धति के पक्ष में नहीं थे। इसलिए मुंबई को छोड़कर अन्य महानगरपालिका में तीन सदस्यीय प्रभाग बनाने पर सहमति जताई गई।
45 हजार जनसंख्या का होगा एक प्रभाग
मौजूदा समय में नागपुर महानगरपालिका चार सदस्यीय प्रभाग पद्धति पर आधारित है। पिछले महीने अगस्त में राज्य सरकार ने एक प्रभाग, एक नगरसेवक पद्धति लागू करने का निर्णय लिया था। इस अनुसार जनप्रतिनिधि और मनपा निर्वाचन प्रशासन ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी थी। मनपा निर्वाचन प्रशासन ने प्रभाग की रचना का कच्चा प्रारूप बनाना शुरू कर दिया था। इसके मुताबिक 16 हजार जनसंख्या का एक प्रभाग बनना सुनिश्चित था, लेकिन नये फैसले की वजह से अब तीन नगरसेवकों का एक प्रभाग होगा। यह प्रभाग 45 से 48 हजार जनसंख्या पर आधारित होगा। अभी चार सदस्यीय प्रभाग में 38 प्रभाग हैं। 37 प्रभाग में चार सदस्य, जबकि अंतिम 38 क्रमांक के प्रभाग में तीन सदस्य हैं। तीन सदस्यीय प्रभाग में 51 प्रभाग होंगे, जिसमें अंतिम दो प्रभाग में 2-2 सदस्य और बाकी 49 प्रभाग में 3-3 सदस्य होंगे।
इससे पहले 2002 में मनपा में तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति लागू की गई थी। उस समय कांग्रेस को इसका लाभ मिला था। कांग्रेस के 51, एनसीपी के 9, भाजपा के 47, बीएसपी के 9, शिवसेना के 6 और निर्दलीय 12 नगरसेवक चुनकर आए थे। 134 सदस्यीय मनपा में उस समय विकास ठाकरे महापौर बने थे। चर्चा है कि इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने नागपुर महानगरपालिका में तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति को लागू करने पर जोर दिया है। 2002 के बाद नागपुर में तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति लागू नहीं हुई। 2007 में 1 सदस्यीय, 2012 में 2 सदस्यीय और 2017 में 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति लागू हुई थी। इसका फायदा भाजपा को मिला है।
जनता को निराशा हाथ लगी : अगस्त में एक प्रभाग, एक सदस्य का निर्णय लेने से इसे जनता के पक्ष में बताया जा रहा था। दावा किया गया था कि अब नगरसेवक अपने जिम्मेदारी से पलडा झाड़ नहीं पाएंगे। उनकी जिम्मेदारी तय होगी। लेकिन निर्णय पलटने से नागरिकों में निराशा देखी जा रही है। हालांकि इसका एक सकारात्मक पहलू यह भी बताया जा रहा है कि एक प्रभाग, एक सदस्यीय पद्धति होने पर कई बार नगरसेवक काम करने से यह कहकर नजरअंदाज करता है कि उसे फलां बस्ती से वोट नहीं मिले या वे उनके विरोधी हैं। बहुसदस्यीय प्रभाग होने से नागरिकों के पास विकल्प मौजूद रहेंगे। अगर एक नगरसेवक काम नहीं करता है या उन्हें नजरअंदाज करता है तो वे दूसरे या तीसरे नगरसेवक के पास अपने काम लेकर जा सकते हैं।