फिर गुलजार होने लगा कमलापुर का हाथी कैम्प
गड़चिरोली फिर गुलजार होने लगा कमलापुर का हाथी कैम्प
डिजिटल डेस्क, अहेरी (गड़चिरोली)। नक्सलियों के पैतृक गांव के रूप में परिचित कमलापुर का हाथी कैम्प फिर एक बार पर्यटकों के कारण गुलजार होने लगा है। विद्यार्थियों समेत बाहरी क्षेत्र के पर्यटक अब यहां बड़ी तादाद में पहुंचने लगे हैं। बता दें कि, पीएलजीए सप्ताह के दौरान दो वर्ष पूर्व नक्सलियों ने इसी कैप को उध्वस्त कर दिया था। बावजूद इसके नक्सलियों की दहशत पर हाथियों का आकर्षण अब भारी पड़ने लगा है। पर्यटकों की बढ़ती भीड़ के कारण कमालापुर गांव में भी नक्सली दहशत कम होने लगी है। वर्तमान में इस कैम्प में हाथियों की संख्या 7 हैं। इन्हें देखने के लिए बाहरी इलाकों के पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं।
नक्सली उत्पात के कारण कैम्प के अधिकांश स्थान ध्वस्त हो गये थे। लेकिन वनविभाग ने अपने स्तर पर मरम्मत का कार्य आरंभ कर पर्यटकों के लिए सुविधा उपलब्ध कराई है। वर्तमान में शीतकाल की आहट शुरू हो गयी है। ऐसी स्थिति में पर्यटक कमलापुर की ओर आकर्षित होने लगे हैं। यहां बता दें कि, जिस समय देश में ब्रिटिश शासनकाल था, उस दौरान तत्कालीन सिरोंचा जिला अंतर्गत कमलापुर के इस कैम्प में मौजूद हाथियों की सहायता से सागौन की लकड़ियों की ढुलाई की जाती थी। देश को आजादी मिलने के बाद जीवित सभी हाथियों को वनविभाग को हस्तांतरित किया गया। वन कानून के तहत हाथियों की मदद से किसी भी तरह के कार्य पर प्रतिबंध लगाने के बाद सिरोंचा वनविभाग ने पर्यटन की दृष्टि से कमलापुर हाथी कैम्प का विकास करना शुरू किया। इस हाथी कैप में आज 7 हाथी मौजूद हैं। यहां एक प्राकृतिक तालाब मौजूद है। हाथी कैम्प परिसर की प्राकृतिक छटाओं को देखने प्रति दिन दर्जनों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं। मात्र पीएलजीए सप्ताह के दौरान 2 वर्ष पूर्व बंदूकधारी नक्सलियों ने कैम्प में उत्पात मचाया। वनविभाग द्वारा जारी विकास कार्यों की तोड़फोड़ करते हुए नसलियों ने इस पर्यटन स्थल का विरोध जताया। नक्सलियों की इस तोड़फोड़ में वनविभाग को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंची। अब नक्सली गतिविधियों के बीच विभाग ने कैम्प परिसर में एक बार फिर विकास कार्य आरंभ किया है। इस कारण हाथियों और प्रकृति के छटाओं के आकर्षण से पर्यटक यहां बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं।