जान जोखिम में डालकर दी सेवा फिर भी नहीं बढ़ाया मानधन
बेमियादी आंदोलन जान जोखिम में डालकर दी सेवा फिर भी नहीं बढ़ाया मानधन
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। कोरोना महामारी के समय पर अपनी जान को जोखिम में डालकर मनरेगा कर्मियों ने नियमित कार्यरत रहकर सेवा दी है जबकि सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई। इसके बावजूद पिछले तीन चार वर्ष से ठेका कर्मचारियों के मानधन में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई, मनरेगा का स्वतंत्र विभाग निर्माण कर ठेका कर्मचारियों को आकृतिबंध में समायोजन करें, प. बंगाल की तर्ज पर मानधन दे, योजना के सभी ठेका कर्मचारियों की राज्य निधि एसोसिएशन में नियुक्ति दें, ग्रामरोजगार सेवकों की प्रलंबित मांगों को पूरा करें और मध्यप्रदेश सरकार की भांति आयु के 62 वर्ष तक नौकरी की गारंटी की मांग के लिए बुधवार से मनरेगा के कर्मचारियों ने जिलाधीश कार्यालय और जिला परिषद के सामने बेमियादी आंदोलन शुरू किया गया। इसके अलावा स्थानीय स्तर के कार्यालयों के सामने भी आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलनकारियों में मनरेगा अंतर्गत सहायक कार्यक्रम अधिकारी, तकनीक सहायक, क्लर्क कम डाटा एंट्री आपरेटर की प्रलंबित मांगों के लिए समय-समय पर सरकार का ध्यानाकर्षण करने निवेदन, प्रदर्शन किया गया। शीतकालीन अधिवेशन में भी मनरेगा कर्मचारियों की मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की शुरुआत की है। 18 जनवरी को राज्य भर में एक दिवसीय आंदोलन किया गया, 25 जनवरी से असहयोग आंदोलन शुरू किया है इसके अंतर्गत लेखनी बंद, समीक्षा सभा, प्रस्ताव, आनलाइन आदि के काम बंद किए इसके बावजूद ध्यान न दिए जाने से 1 फरवरी से बेमियादी आंदोलन की शुरुआत की है।