शासन ने तय कर लिया गरीब परिवार नहीं खाएंगे रोटी, राशन दुकानों में गेहूं का कोटा खत्म, बदले में चावल

भास्कर खास : सरकार के सर्वे ने बिगाड़ा गरीब परिवारों के रसोई का जायका शासन ने तय कर लिया गरीब परिवार नहीं खाएंगे रोटी, राशन दुकानों में गेहूं का कोटा खत्म, बदले में चावल

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-23 05:42 GMT
शासन ने तय कर लिया गरीब परिवार नहीं खाएंगे रोटी, राशन दुकानों में गेहूं का कोटा खत्म, बदले में चावल
हाईलाइट
  • गेहूं की जगह मिलेगा चावल

डिजिटल डेस्क, शहडोल, राघवेंद्र चतुर्वेदी। जरूरतमंद परिवारों को राशन दुकान से मिलने वाले गेहूं का कोटा सरकार ने खत्म कर दिया है। जून माह में जिले के राशन दुकानों से जरूरतमंद परिवारों को गेहूं की जगह चावल दिया जा रहा है।

सरकार के इस फरमान ने उन गरीब परिवारों की परेशानी बढ़ा दी है जो शुगर व अन्य बीमारी के मरीज हैं और डॉक्टर ने भोजन में चावल की जगह रोटी खाने की सलाह दी है। ऐसे परिवार अब सवाल उठा रहे हैं कि सरकार ने आखिर कैसे तय कर लिया कि गरीब परिवार के लोग रोटी नहीं खाएंगे? चावल से काम चल जाएगा। बतादें कि राशन दुकान में गेहूं का कोटा खत्म कर बदले में चावल देने की व्यवस्था जून माह से प्रदेश के कई जिलों में लागू की गई है। इसमें अनूपपुर, बालाघाट व सिंगरौली के साथ ही शहडोल जिला भी शामिल है।

8 लाख लोगों को गेहूं की जगह खाना पड़ेगा  चावल 

शहडोल जिले में 2 लाख 11 हजार 255 परिवारों में कुल सदस्य 8 लाख 14 हजार 141 है। इनके लिए राशन दुकान से चावल व गेहूं की आपूर्ति होती है। इसमें बीपीएल परिवारों को प्रति सदस्य पांच किलो अनाज में पहले तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल दिया जाता था। अब नई व्यवस्था में प्रत्येक सदस्य मिलने वाले तीन किलो गेहूं का आबंटन खत्म कर दिया गया है और पूरे पांच किलो चावल दिया जा रहा है। 70 प्रतिशत परिवारों को राशन का वितरण भी कर दिया गया है। 

गेहूं के लिए राशन दुकान ही सहारा

शहर के वार्ड क्रमांक 28 निवासी शंकर व वार्ड क्रमांक 32 निवासी अब्दुल नफीस ने बताया कि गरीब परिवारों को रोटी के लिए राशन दुकान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस बार तो जिले में गेहूं की उपज भी कम हुई है और बाजार में गेहूं की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे में गरीब परिवारों को लिए राशन दुकान ही एक सहारा था। अब वहां से भी गेहूं नहीं मिलने के बाद लोग महंगी कीमत पर बाजार से गेहूं लेने विवश होंगे। कई परिवारों के लिए तो अब तो थाली से रोटी गायब होने की स्थिति बन जाएगी।

जिम्मेदारों का  तर्क

सरकार ने एक सर्वे में पाया गया कि शहडोल सहित अन्य चिन्हित जिलों में लोग चावल का सेवन ज्यादा करते हैं। इसलिए गेहूं का आबंटन खत्म कर अब राशन दुकान से चावल देने का निर्णय लिया गया है।

पता करवाते हैं:कलेक्टर शहडोल
हमारे संवादताता ने जब शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य से बात की , तो उन्होंने जवाब देते हुे कहा कि गेहूं की जगह चावल सप्लाई का निर्णय ऊपर से लिया गया है। हम पता करवाते हैं कि यह व्यवस्था कब तक लागू रहेगी। लोगों को परेशानी होगी तो व्यवस्था बदलने के लिए पत्र लिखेंगे। 

 

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